उतराखण्ड में ‘प्रयुक्त जल प्रबंधन’ के कुप्रबंधन से केंद्र से मिले 203 करोड़ खर्च ही नहीं किया

केंद्र से मिले 203 करोड़ अब तक प्रयोग न करने से लौटाने की नौबत!

देहरादून : प्रदेश में प्रयुक्त जल प्रबंधन (यूज्ड वाटर मैनेजमेंट) का भारी कुप्रबंधन सामने आया है। शहरी विकास विभाग स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के तहत केंद्र से मिले 203 करोड़ रुपये बजट से अब तक एक भी परियोजना तैयार नहीं कर पाया है।केंद्र ने वर्ष 2021 में स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम) 2.0 की शुरुआत की थी। इसके तहत विभिन्न श्रेणियों में राज्यों को बजट जारी किया गया था।

इसमें एसबीएम 2.0 का एक महत्वपूर्ण घटक प्रयुक्त जल प्रबंधन है, जिसका उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में अपशिष्ट जल का प्रबंधन और उपचार करना है। इस श्रेणी में उत्तराखंड को 203 करोड़ रुपये का बजट मिला था। मकसद था कि सीवर ट्रीटमेंट प्लांट से निकलने वाले पानी का पुन: सड़कों की सफाई, निर्माण कार्यों आदि में इस्तेमाल किया जा सके।

एसबीएम की अवधि वर्ष 2026 में खत्म हो रही है। पांच साल का समय बीत गया। उत्तराखंड अब तक इस श्रेणी में विस्तृत परियोजना रिपोर्ट(डीपीआर) से आगे नहीं बढ़ पाया है। विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो एसबीएम 2.0 के तहत आठ शहरों के लिए 151.41 करोड़ की छह डीपीआर पेयजल निगम के माध्यम से बनाई गई है।

ये डीपीआर केंद्र को भेजने का दावा भी किया जा रहा है। लेकिन केंद्र से अब तक कोई जवाब नहीं आया। एक साल से कम समय में डीपीआर बनकर निविदा प्रक्रिया तक गुजरने में एक साल का समय यूं ही कट सकता है। लिहाजा, केंद्र से मिले 203 करोड़ लौटाने की नौबत भी आ सकती है।

 

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