वाईएसआरसीपी की शराब नीति क्या थी?

आंध्र प्रदेश :वाईएस जगन मोहन रेड्डी के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान हुए कुख्यात आंध्र प्रदेश शराब घोटाले में अब तक की सबसे बड़ी गिरफ्तारी हुई है। मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (SIT) ने वाईएसआरसीपी सांसद मिथुन रेड्डी को गिरफ्तार कर लिया है। मिथुन रेड्डी शनिवार सुबह विजयवाड़ा स्थित एसआईटी कार्यालय में पेश हुए। जांच में भी शामिल हुए। शुरुआती पूछताछ के बाद सांसद को एसआईटी अधिकारियों ने हिरासत में ले लिया।

मजिस्ट्रेट के सामने किया गया पेश
एसआईटी ने मिथुन रेड्डी से लगभग सात घंटे तक पूछताछ की और फिर उन्हें औपचारिक रूप से अपने कार्यालय में गिरफ्तार कर लिया। मेडिकल जांच के बाद उन्हें जल्द ही मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा। यह इस मामले में अब तक की सबसे हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारी है। उम्मीद है कि जांच जारी रहने पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। यह गिरफ्तारी मिथुन रेड्डी को आंध्र प्रदेशहाई कोर्ट और भारत के सुप्रीम कोर्ट द्वारा अग्रिम जमानत देने से इनकार किये जाने के तुरंत बाद हुई है।

जानिए क्या हैं मिथुन रेड्डी के खिलाफ आरोप?
मिथुन रेड्डी के खिलाफ मुख्य आरोप यह है कि उन्होंने शराब भुगतान प्रणाली को स्वचालित से मैनुअल मोड में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे कथित तौर पर वित्तीय प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सांसद पीवी मिथुन रेड्डी को कथित 3,200 करोड़ रुपये के आंध्र प्रदेश शराब घोटाले के सिलसिले में विशेष जांच दल (SIT) ने गिरफ्तार कर लिया है। मामले में आरोपी संख्या 4 (ए4) रेड्डी को शनिवार को विजयवाड़ा स्थित एसआईटी कार्यालय में लगभग सात घंटे की गहन पूछताछ के बाद हिरासत में लिया गया।

एसआईटी ने राजमपेटा लोकसभा सांसद से घोटाले के कई अहम पहलुओं पर पूछताछ की, जिनमें कथित शराब नीति में हेराफेरी, फर्जी कंपनियों के साथ वित्तीय लेन-देन और प्रमुख व्यक्तियों के साथ अघोषित बैठकें शामिल हैं।

क्या है आंध्र प्रदेश का शराब घोटाला?
मामले की जांच कर रहे एक विशेष जांच दल (SIT) के अनुसार, आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) सरकार के कार्यकाल में कथित तौर पर 3,200 करोड़ रुपये का एक बड़ा शराब घोटाला हुआ था। पुलिस ने इस घोटाले का आरोप तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के पूर्व आईटी सलाहकार केसी रेड्डी, राज शेखर रेड्डी पर लगाया है।

राज शेखर को किया गया गिरफ्तार
एसआईटी ने राज शेखर को इस साल 21 अप्रैल को हैदराबाद हवाई अड्डे पर गिरफ़्तार किया था। राज शेखर और उनके सहयोगियों, जिनमें वाईएसआरसीपी के वरिष्ठ नेता और नौकरशाह शामिल हैं, पर राज्य की शराब नीति का दुरुपयोग करके लोकप्रिय शराब ब्रांडों की जगह कम प्रसिद्ध ब्रांडों को शामिल करने का आरोप है, जिसके बदले में उन्हें 3,200 करोड़ रुपये की रिश्वत मिली।

प्रति माह 50 से 60 करोड़ रुपये की रिश्वत प्राप्त करने की विस्तृत योजना के साथ राज शेखर और अन्य ने यह सुनिश्चित किया कि उन कंपनियों को नियमित रूप से ऑर्डर दिए जाएं जिनसे पहले से तय रिश्वत प्राप्त होती थी। राज शेखर इस मामले में सामने आने वाला एकमात्र बड़ा नाम नहीं है।

इस मामले में नाम भी हैं शामिल
राज शेखर की रिमांड रिपोर्ट में पूर्व राज्यसभा सांसद वाई विजयसाई रेड्डी जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं, जो पहले जगन के करीबी सहयोगी थे, जिन्होंने जनवरी में अपनी संसद सदस्यता और राजनीति भी छोड़ दी थी। एक और बड़ा नाम राजमपेट से वाईएसआरसीपी सांसद पीवी मिधुन रेड्डी का है, जो आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री पेड्डीरेड्डी रामचंद्र रेड्डी के बेटे हैं जिन्हें गिरफ्तार किया गया है।

वाईएसआरसीपी की शराब नीति क्या थी?
साल 2019 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान जगन ने राज्य में चरणबद्ध तरीके से शराबबंदी लागू करने का वादा किया था। सत्ता में आने के तुरंत बाद, अक्टूबर 2019 में, वाईएसआरसीपी एक नई शराब नीति लेकर आई, जिसके बारे में उनका दावा था कि यह इस वादे के अनुरूप है। सरकार ने राज्य की लगभग 3,500 शराब की दुकानों को अपने नियंत्रण में लेने का फैसला किया। शराब की खपत को कम करने के लिए दुकानों के खुलने का समय कम कर दिया गया और कीमतें बढ़ा दी गईं।

SEB की हुई स्थापना
शराब का कारोबार पूरी तरह से सरकारी स्वामित्व वाली आंध्र प्रदेश राज्य पेय पदार्थ निगम लिमिटेड (APSBCL) को सौंप दिया गया। सरकार ने शराब की तस्करी और अवैध शराब बनाने पर अंकुश लगाने के लिए निषेध एवं आबकारी विभाग के अंतर्गत एक विशेष प्रवर्तन ब्यूरो (SEB) की भी स्थापना की।

साल 2021 में कीमतों में करनी पड़ी कटौती
समय के साथ लोकप्रिय ब्रांड धीरे-धीरे शराब की दुकानों से गायब हो गए और उनकी जगह नए अनजान ब्रांड आ गए। कीमतों में तेज वृद्धि के कारण पड़ोसी राज्यों कर्नाटक और तेलंगाना से शराब की तस्करी के बड़े पैमाने पर प्रयास किए गए, जिसके कारण सरकार को 2021 में कीमतों में कटौती करनी पड़ी।

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