अब यूपी में गांव-गांव तक में होगी रिसर्च!

मोबाइल ऐप की जायेगी हर प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग

लखनऊ : अब फोकस उस शोध पर है, जो सिर्फ प्रयोगशालाओं तक सीमित न रहकर गांव, समाज और अंतिम व्यक्ति के जीवन को छुए। राजभवन में आयोजित नीति आयोग की दो दिवसीय परामर्श बैठक में विशेषज्ञों ने शोध और नवाचार को धरातल तक पहुंचाने की ठोस रणनीति पर मंथन किया। “ईज आफ डूइंग रिसर्च एंड डेवलपमेंट” के तहत भारत को आत्म निर्भर और वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनाने की दिशा में जमीनी बदलाव के स्पष्ट संकेत मिले।

समापन सत्र में राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कहा कि ऐसा शोध सार्थक है, जो समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे और उसका जीवन बेहतर बनाए। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे अनुसंधान से जुड़ी समस्याओं की सूची बनाकर समाधान की दिशा में ठोस संवाद करें।

उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि सभी विश्वविद्यालय अपने प्रोजेक्ट एक साझा मोबाइल ऐप पर अपलोड करें, जिससे पारदर्शिता और समन्वय बेहतर हो। बैठक के तकनीकी सत्रों में सीएसआईआर-एनबीआरआइ के निदेशक डा. अजीत शासनी, नाइपर-रायबरेली की प्रो. शुभिनी सराफ, आइसीएआर पुसा के डा. एके सिंह, डीआरडीओ के डा. अशिष दुबे और टेक्नोलाजी डेवलपमेंट बोर्ड के डा. राजेश पाठक समेत विशेषज्ञों ने अपने विचार साझा किए।

इन सत्रों में शोध संस्थानों, विश्वविद्यालयों, उद्योग और सरकार के बीच बेहतर समन्वय, फंडिंग, पेटेंट को उत्पाद में बदलने, प्रतिभा पलायन रोकने और शोध को समाजोपयोगी बनाने पर जोर दिया गया। सीएसआइआर की महानिदेशक डा. एन कलाईसेल्वी ने उत्तर प्रदेश को अनुसंधान की संभावनाओं से भरा बताया।

नीति आयोग के डिप्टी एडवाइजर डा. अशोक सोनकुसरे ने सुझावों को नीति निर्माण में शामिल करने का आश्वासन दिया। बैठक में विभिन्न राज्यों के कुलपति, नीति निर्माता, वैज्ञानिक और शिक्षाविद शामिल हुए।

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