रीड की हड्डी बढ़ने से पहले शरीर में जरूर दिखते हैं ये संकेत, न करें नजरअंदाज
अगर पीठ में हल्का दर्द हो तो इसे नजरअंदाज न करें

आपका स्वास्थ्य : रीढ़ की हड्डी शरीर का वो ढांचा है जो पूरे शरीर को बैलेंस रखता है. यह 33 छोटी-छोटी हड्डियों से बनी होती है, जो सिर से लेकर कमर तक फैली होती हैं. रीढ़ की हड्डी के भीतर से ही स्पाइनल कॉर्ड गुजरती है, जो मस्तिष्क से शरीर तक सिग्नल पहुंचाने का कार्य करती है. जब रीढ़ की हड्डी बढ़ने लगती है, तो दरअसल उसमें असामान्य रूप से झुकाव या टेढ़ापन आ जाता है. इसे मेडिकल भाषा में स्कोलियोसिस या काइफोसिस कहा जाता है. यह स्थिति शरीर के पोस्चर को प्रभावित करती है और धीरे-धीरे दर्द, थकान और अन्य गंभीर समस्याओं की वजह बन सकती है.
रीढ़ की हड्डी का असामान्य बढ़ना या झुकाव होने से शरीर के संपूर्ण ढांचे पर असर पड़ता है. सबसे पहले असर शरीर के पोस्चर पर दिखता है जैसे कि एक कंधा नीचे झुक जाना, पीठ का ज्यादा बाहर की ओर मुड़ जाना या चलने-फिरने में बैलेंस बिगड़ना. अगर यह स्थिति समय पर न सुधारी जाए, तो इससे पीठ और गर्दन में लगातार दर्द बना रह सकता है. लंबे समय तक ऐसी स्थिति बनी रहने पर फेफड़ों की क्षमता पर भी असर पड़ सकता है, जिससे सांस लेने में दिक्कतहोनेलगतीहै. कुछ मामलों में यह समस्या हार्ट और पाचन तंत्र पर भी दबाव डाल सकती है. रीढ़ की हड्डी की इस तरह की स्थिति न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है, बल्कि आत्मविश्वास और मानसिक स्थिति पर भी बुरा असर डाल सकती है.
क्या हैं इसके शुरुआती लक्षण?
दिल्ली के आरएमएल हॉस्पिटल में आर्थोपेडिक विभाग के पूर्व डॉ. संकल्प जायसवाल बताते हैं कि रीढ़ की हड्डी में असामान्य बदलाव अक्सर धीरे-धीरे होते हैं, लेकिन इसके कुछ शुरुआती लक्षण होते हैं, जिन्हें समय रहते पहचानना बहुत जरूरी है. सबसे आम लक्षणों में शामिल है एक कंधे का दूसरे की तुलना में ऊंचा नजर आना, कमर के एक हिस्से का ज्यादा उभरा हुआ लगना या चलते समय शरीर का एक ओर झुकाव. कई बार कपड़े सही से फिट नहीं आते या टेढ़े लगते हैं, जो रीढ़ की गड़बड़ी की ओर संकेत कर सकते हैं. पीठ में थकान, लंबे समय तक खड़े या बैठे रहने पर दर्द, गर्दन में अकड़न या खिंचाव जैसी समस्याएं भी शुरू में दिख सकती हैं.
बच्चों और टीनेजर में यह स्थिति तेजी से बढ़ती है, क्योंकि उस उम्र में शरीर की ग्रोथ भी तेज होती है. अगर बच्चा अचानक झुककर चलने लगे या उसकी पीठ का पोस्चर बदलता दिखे, तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए. इन लक्षणों को हल्के में लेना आगे चलकर रीढ़ की हड्डी में स्थायी गड़बड़ी ला सकता है, जिससे न सिर्फ शरीर की बनावट बिगड़ती है, बल्कि रोजमर्रा की कार्यों में भी परेशानी होने लगती है. समय पर ध्यान देने से यह समस्या काबू मेंलाईजासकतीहै.
कैसे करें बचाव?
> बच्चों और टीनेजर की रीढ़ की हड्डी की जांच कराएं.
> गलत पोस्चर में बैठने या झुककर चलने की आदत से बचें.
> रोजाना पीठ और रीढ़ को मजबूत करने वाली एक्सरसाइज करें.
> भारी बैग या वजन एक ही कंधे पर न लटकाएं.
> कैल्शियम और विटामिन डी युक्त डाइट लें.
> लगातार लंबे समय तक बैठने से बचें और हर घंटे स्ट्रेच करें.
> रीढ़ में दर्द, अकड़न या झुकाव महसूस हो तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं.