योगी कैबिनेट की पीसीएस जे भर्ती पाठ्यक्रम में संशोधन को मंजूरी

विभिन्न अधिनियमों में होने वाले बदलाव भी अब पाठ्यक्रम में शामिल रहेंगे

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को सम्पन्न कैबिनेट बैठक में प्रदेश सरकार ने पीसीएस (जे) की भर्ती के लिए आयोजित परीक्षा के पाठ्यक्रम को संशोधित कर दिया है। समय-समय पर विभिन्न अधिनियमों में होने वाले बदलाव भी अब पाठ्यक्रम में शामिल रहेंगे।

कैबिनेट ने इसके लिए उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा नियमावली 2001 में संशोधन को स्वीकृति प्रदान कर दी है। जैसे आइपीसी के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता लागू की गई है। इसी तरह अन्य कई अधिनियमों को संशोधन किया गया है। इसलिए पीसीएस (जे) भर्ती में इन संशोधनों को शामिल करने के लिए उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा (षष्ठम संशोधन) नियमावली-2025 को मंजूरी दी गई है। इससे समय-समय पर होने वाले संशोधनों के कारण नियमावली में फिर से संशोधन नहीं करना पड़ेगा।

किसानों को दीर्घकालीन ऋण देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकारी ग्राम विकास बैंक को नाबार्ड से 600 करोड़ रुपये ऋण मिलेगा। मंगलवार को आयोजित कैबिनेट की बैठक में राज्य सरकार की तरफ से 1500 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी नाबार्ड को दिए जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी गई। सहकारी ग्राम विकास बैंक द्वारा किसानों को दीर्घकालीन ऋण दिया जाता है।

ऋण वितरण के लिए बैंक के पास खुद के निजी संसाधन पर्याप्त नहीं होने के कारण नाबार्ड से ऋण के रूप में धनराशि प्राप्त करने के लिए शासकीय गारंटी दी जाती है। नाबार्ड से बैंक को मिलने वाले ऋण से बैंक किसानों को खेती व अन्य कार्यों के लिए दीर्घ अवधि का ऋण देगा। जिससे किसानों की आर्थिक दशा में सुधार होने के साथ ही कृषि उत्पादकता में वृद्धि होगी। इसका सबसे अधिक लाभ लघु व सीमांत किसानों को होगा।

कैबिनेट ने ऐतिहासिक व प्राचीन अभिलेखों को संरक्षित करने के लिए लोक अभिलेख अधिनियम के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। संस्कृति विभाग ने विभिन्न राज्यों में इस अधिनियम का अध्ययन कर उत्तर प्रदेश में भी इसे बनाए जाने संबंधी प्रस्ताव शासन को दिया था। इस अधिनियम के तहत अभिलेखों को सुरक्षित व संरक्षित किया जाएगा। इससे शोध व इतिहास लेखन में मदद मिलेगी। साथ ही किसी ऐतिहासिक व प्राचीन धरोहर को लेकर होने वाले कानूनी विवादों को भी सुलझाने के लिए अभिलेखीय साक्ष्य आसानी के साथ उपलब्ध कराए जा सकेंगे।

Related Articles

Back to top button