कुंभ मेला से कहां चले जाते हैं नागा साधु , कहां होता है ठिकाना
नागा संन्यासी, महाकुंभ में सभी अमृत स्नान के बाद अब वापस जाने लगे हैं. कुंभ जैसे खास मौकों पर नजर आने वाले नागा साधु कुंभ के बाद अचानक कहां गायब हो जाते हैं. ये सोचने वाली बात है.

महाकुंभ में तीन अमृत स्नान पूरे हो चुके हैं और अब अखाड़े खाली होना शुरू हो गए हैं. कुंभ हो या महाकुंभ, आपने देखा होगा कि इस दौरान नागा साधु सबसे खास आकर्षण का केंद्र होते हैं. क्योंकि पवित्र नदियों या तीर्थों के अलावा शायद ही किसी अन्य जगह पर नागा साधु नजर आते हैं. आपके मन में अक्सर यह सवाल उठता है कि अमृत स्नान के बाद हजारों-लाखों की संख्या में आए नागा साधु कहां गायब हो जाते हैं? कुंभ मेले के बाद नागा साधु कई जगहों पर जाते हैं..आइए जानते हैं..
कहां जाएंगे नागा सन्यासी?
नागा संन्यासियों का जीवन कई रहस्यों से भरा है.नागा साधु बनने से लेकर इन साधुओं का जीवन उनके रहने का तरीका काफी रहस्यमयी माना जाता है. ऐसे में ये जानना कठिन होता है कि संन्यासी कहां जाएंगे. अब ये काशी जाएंगे या फिर जहां से आए थे वहां लौट जाएंगे, ये सवाल सबके लिए जिज्ञासा का विषय रहता है.
क्या हिमालय की गुफाओं में ठिकाना?
कथाकथित धारणाओं के आधार पर ऐसा माना जाता है कि नागा साधु कुंभ मेले में गंगा स्नान करने आते हैं और फिर मेला खत्म हो जाने के बाद हिमालय की पहाड़ियों और जंगलों में वास करते हैं. अधिकतर नागा साधु कुंभ मेले के बाद हिमालय की गुफाओं में चले जाते हैं, जहां वे कठोर तप करते हैं. नागा साधु बस फल और पानी पर ही जीवन व्यतीत करते हैं.
खुले में भी रहते हैं नागा
कई नागा साधुओं को खुले वातावरण में रहना पसंद होता है. इसलिए वे कुंभ के बाद तीर्थ स्थलों की यात्रा पर निकल जाते हैं. हालांकि अब कुछ नागा साधु अपने अखाड़ों के प्रशिक्षण केंद्रों में भी अपना समय देते हैं.
कंदरा भी होता है ठिकाना
कुंभ के बाद कुछ नागा अपनी साधना के लिए कंदराओं में चले जाते हैं जबकि कुछ अपने अखाड़ों में चले जाते हैं. इनका जीवन बहुत कठिन होता है. हालांकि साधना के दौरान धूनी के सामने वह दिगंबर रूप में ही रहते हैं. कुछ नागा हमेशा दिगंबर रूप में रहते हैं जबकि कुछ एक वस्त्र धारण करते हैं.
शमशान के पास गुफा
नागा साधु सांसारिकता से बहुत दूर रहते हैं. वे शिव भक्त होते हैं.ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव के परम भक्त माने जाने वाले नागा साधु बड़े विध्वंसक होते हैं. अगर कोई इनके ज्यादा पास जाने की कोशिश करता है या फिर इनके भेदों को जानने की कोशिश करता है तो यह अपनी तंत्र विद्या से उसका अहित कर देते हैं. यह भी कहते हैं कि नागा साधु उन श्मशानों केआसपास गुफा बनाकर रहते हैं.
कहां होती है दीक्षा
ऐसी मान्यता है कि नागा साधु नग्न अवस्था में ही रहते हैं और मांस मदिरा का सेवन करते हैं. किसी भी मृतक का शव इनकी पूजा-पाठ का अहम भाग होता है. नागा बनने के लिए वैसे तो कोई शैक्षिक या उम्र की बाध्यता नहीं है. नए नागाओं की दीक्षा प्रयाग, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन के कुंभ में होती है.
नागा साधुओं के भी होते हैं प्रकार
प्रयाग में दीक्षा पाने वाले नागा को राजराजेश्वर, उज्जैन में दीक्षा पाने वाले को खूनी नागा, हरिद्वार में दीक्षा पाने वाले को बर्फानी नागा और नासिक में दीक्षा पाने वाले को खिचड़िया नागा कहा जाता है.
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