DRDO से विकसित भारत के कुश रक्षा कवच से पाकिस्तान-चीन को टेंशन
इजरायली आयरन डोम, अमेरिकी पैट्रियट और रूसी S-400 को टक्कर

नई दिल्ली : भारत का एक प्रोजेक्ट है कुश, जिसे विस्तारित रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (ERADS) भी कहा जाता है। यह रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की ओर से विकसित भारत का एक स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम है। इसका मकसद एक लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली तैयार करना है जो ड्रोन, विमान और मिसाइल जैसे हवाई खतरों से निपट सके। वैसे तो भारत के पास रूस से मंगाए गए S-400 डिफेंस सिस्टम भी है, मगर अब जिस तरह से युद्ध लड़े जा रहे हैं, उसमें किसी भी देश को हर वक्त तैयार रहना होगा। दूसरे देशों पर निर्भरता कम करनी होगी। ऐसे में भारत का देसी S-400 डिफेंस सिस्टम बेहद काम का हो सकता है।
सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें
‘प्रोजेक्ट कुश’ के केंद्र में भारत की अपनी खुद की लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (LR-SAM) का विकास है, जो रूस के S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम के बराबर है। इजरायल के प्रमुख एयरोस्पेस और एविएशन निर्माताओं, इज़राइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज के साथ संयुक्त रूप से विकसित, कुश को मई 2022 में सुरक्षा के लिए कैबिनेट समिति द्वारा हरी झंडी दी गई थी। मोबाइल एलआर-एसएएम में लंबी दूरी की निगरानी और अग्नि नियंत्रण रडार के साथ विभिन्न प्रकार की इंटरसेप्टर मिसाइलें होंगी, जो 150 किमी, 250 किमी और 350 किमी की दूरी पर शत्रुतापूर्ण लक्ष्यों को मारने के लिए डिजाइन की गई हैं।
S-400 से कितना अलग है कुश
रणनीतिक और सामरिक रूप से कमजोर क्षेत्रों को व्यापक हवाई सुरक्षा कवर प्रदान करने के लिए बनाई गई यह प्रणाली 250 किलोमीटर की दूरी पर लड़ाकू आकार के लक्ष्यों और 350 किलोमीटर की दूरी पर बड़े विमानों को मार गिरा सकती है। एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि यह विश्वसनीय क्षेत्रीय हवाई रक्षा में भी सक्षम है, जिसमें एक बार में मिसाइल दागे जाने पर मार गिराने की संभावना 80 प्रतिशत से कम नहीं है और एक बार में दागे जाने पर 90 प्रतिशत से कम नहीं है। S-400 लंबी, मध्यम और छोटी दूरी के खतरों को मार गिरा सकता है, जबकि प्रोजेक्ट कुश का लक्ष्य केवल लंबी दूरी की वायु रक्षा का विकास करना है।
2029 तक देश की सीमाओं का बनेगा रखवाला
भारत का कुश एयर डिफेंस सिस्टम को 2028-2029 तक देश की सीमाओं पर तैनात करने की योजना है। यह दुश्मन के हमलों के साथ-साथ, दुश्मन के लड़ाकू विमान, ड्रोन, क्रूज और बैलेस्टिक मिसाइलों समेत हर हमलों को भी ट्रैक और ध्वस्त कर सकेगा। कुश के तैनात होने के बाद भारत उन महत्वपूर्ण देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जिनके पास अपना लंबी दूरी का एयर डिफेंस सिस्टम है। अभी भारत के पास अपना स्वदेशी वेरी-शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम है। भारत ने 2018 में रूस से S-400 की डील की थी, इस डील के तहत भारत ने 5 ऐसे S-400 40 हजार करोड़ रुपए में खरीदा था। इनमें से ज्यादातर चीनी सीमा पर तैनात हैं।
देसी S-400 सटीकता से करता है दुश्मन पर वार
कुश डिफेंस सिस्टम में ड्यूल-पल्स मोटर और थ्रस्ट वेक्टर कंट्रोल जैसे नवीनतम तकनीक शामिल हैं। यह सिस्टम उच्च सटीकता के साथ लक्ष्यों को निशाना बना सकता है, जिससे दुश्मन को आसानी से मात दी जा सके। इसकी एक और खास बात यह है कि यह प्रणाली भारत की मौजूदा आकाश, बराक-8 और एस-400 जैसे सिस्टम्स से जुड़कर एक एकीकृत वायु रक्षा नेटवर्क बनाएगी।
350 किमी दूर से दुश्मन का लगेगा पता
भारत का यह देसी रक्षा कवच 350 किलोमीटर दूर से दुश्मन की गतिविधियों का पता लगा लेगा और उन्हें नष्ट करने में सक्षम होगा, जो इजराइल के आयरन डोम की तुलना में बेहतर माना जाता है। इसके अलावा, यह सिस्टम लंबी दूरी तक हवाई खतरों का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम है। यह पूरी तरह से भारत में विकसित और निर्मित है, जिससे भारत को एक मजबूत और आत्मनिर्भर वायु रक्षा प्रणाली मिलती है। यह क्रूज़ मिसाइल, ड्रोन, स्टील्थ फाइटर जेट और स्मार्ट बमों जैसे विभिन्न हवाई खतरों से निपट सकता है।