अमित शाह की वो आदत जिसने बदली जिंदगी
लेकिन अब न दवा, न इंसुलिन'

युवाओं के लिए सीधा संदेश
नई दिल्ली: विश्व लिवर दिवस के अवसर पर आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मंच पर आए, तो वे एक राजनेता नहीं, बल्कि एक प्रेरणास्रोत के रूप में नजर आए. पहली बार उन्होंने अपने स्वास्थ्य से जुड़ा निजी अनुभव साझा किया और बताया कि कैसे अनुशासित दिनचर्या, संतुलित आहार और व्यायाम ने उनकी ज़िंदगी बदल दी.
इंस्टिट्यूट ऑफ लिवर एंड बायलियरी साइंसेज (ILBS) के कार्यक्रम में उन्होंने खुलकर कहा कि वर्ष 2020 से उन्होंने अपनी जीवनशैली में बड़ा बदलाव किया, जिसका सकारात्मक असर न सिर्फ उनके स्वास्थ्य पर पड़ा, बल्कि अब वे लगभग सभी एलोपैथिक दवाइयों और इंसुलिन से मुक्त हो चुके हैं.
अब मैं दवाओं से आज़ाद हूं
गृह मंत्री शाह ने कहा “मैं ये अनुभव सिर्फ बताने के लिए नहीं, बल्कि बांटने आया हूं. 2020 से आज तक, मैंने अपने शरीर को वह सब देना शुरू किया जिसकी उसे ज़रूरत थी. भरपूर नींद, पर्याप्त पानी, संतुलित आहार और नियमित व्यायाम. और नतीजा यह है कि आज मैं दवाओं से मुक्त हूं.” उन्होंने देश के युवाओं को खास संदेश देते हुए कहा कि अगर वे अगले 40-50 वर्षों तक देश के निर्माण में भूमिका निभाना चाहते हैं, तो उन्हें अपने शरीर के लिए हर दिन दो घंटे और दिमाग के लिए कम से कम छह घंटे की नींद ज़रूर देनी चाहिए.
बुद्ध का ज़िक्र और खुद से की गई तुल ना
अमित शाह ने महात्मा बुद्ध की एक प्रेरणादायक कहानी भी साझा की, जिसमें बुद्ध ने एक मां को सलाह देने से पहले खुद अपनी आदत बदली थी. शाह ने कहा कि वो खुद पहले अनुशासित जीवन नहीं जीते थे, लेकिन जब एक महापुरुष ने आग्रह किया, तो उन्होंने बदलाव की शुरुआत की और वह बदलाव आज उन्हें एक स्वस्थ जीवन की ओर ले आया है. “अगर आज से चार साल पहले मुझे यहां बुलाया जाता, तो मैं आने की स्थिति में नहीं होता. लेकिन अब मैं अपने अनुभव को आपके साथ बांटने के लिए गर्व से खड़ा हूं.”
युवाओं के लिए सीधा संदेश
अमित शाह ने अपनी बात को यहीं नहीं रोका, उन्होंने युवाओं से स्वस्थ जीवनशैली को प्राथमिकता देने की अपील की. उन्होंने कहा कि तकनीक, करियर और लक्ष्य अपनी जगह हैं, लेकिन अगर शरीर और मन साथ नहीं दें, तो कुछ भी संभव नहीं. विश्व लिवर दिवस पर दिया गया अमित शाह का यह संदेश न सिर्फ स्वास्थ्य के महत्व को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि किसी भी उम्र में, किसी भी मोड़ पर बदलाव संभव है — बस ज़रूरत है एक फैसले की और थोड़े अनुशासन की.