भारत द्वारा पाकिस्तान से युद्धविराम समझौता रद्द करने की तैयारी?

शिमला समझौता रद्द होते ही भारत को मिल जाएगी खुली छूट!

नई दिल्ली : कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। इसके जवाब में भारत ने न सिर्फ पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौते को स्थगित कर दिया है, बल्कि पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा को रद्द करते हुए अटारी बार्डर क्रासिंग को बंद कर दिया है। इसके अलावा नई दिल्ली में पाकिस्तानी दूतावास में राजनयिकों और कर्मचारियों की संख्या में भी कटौती की है।

इसके बाद पाकिस्तान ने भी कुछ ऐसे ही कदम उठाए हैं। उसने शिमला समझौते को तोड़ने का ऐलान किया है और भारत के कदमों पर जवाबी कार्रवाई का फैसला किया है। ऐसे में जानें भारत और पाकिस्तान के बीच हुए समझौतों और संधियों के बारे में।

पहलगाम हमले के बाद जहां पाकिस्तान और भारत दोनों ओर यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि आतंकवादियों पर भारत का जवाबी हमला किस तरह का होगा, वहीं भारतीय नौसेना और वायुसेना की अचानक तेज हुई गतिविधियों ने इन अटकलों को और हवा दे दी। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार, पाकिस्तान के साथ सीमा पर लागू युद्धविराम समझौते को भी रद्द करने की घोषणा कर सकती है।

पाकिस्तान ने 24 अप्रैल को 1972 के ऐतिहासिक शिमला समझौते को रद्द करने का ऐलान कर दिया, जिसने दोनों देशों के बीच नियंत्रण रेखा (LoC) को स्थायी सीमा के रूप में मान्यता दी थी। इस घटनाक्रम ने भारत को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में बड़ी कार्रवाई की खुली छूट दे दी है, जिससे भारत अब अधिक आक्रामक रणनीति अपना सकता है।

भारतीय नौसेना ने पश्चिमी समुद्री क्षेत्र (अरब सागर) में गाइडेड मिसाइल विध्वंसक पोत आईएनएस सूरत से मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। वहीं, बृहस्पतिवार को ही वायुसेना ने मध्यक्षेत्र में राफेल और सुखोई-30 जंगी जहाजों के साथ युद्धाभ्यास ‘आक्रमण’ शुरू किया है। इसके तहत पहाड़ी और जमीनी लक्ष्यों पर हवाई हमलों का अभ्यास किया जा रहा है।

शिमला समझौता
शिमला समझौते पर 1971 के युद्ध के बाद पाकिस्तान और भारत के बीच हस्ताक्षर किए गए थे। इस पर हस्ताक्षर करने वालों में पाकिस्तान की तरफ से जुल्फिकार अली भुट्टो और भारत की तरफ से इंदिरा गांधी शामिल थीं। समझौते में अन्य बातों के साथ-साथ यह भी कहा गया कि कोई भी पक्ष एकतरफा कोई कार्रवाई नहीं करेगा, दोनों देशों के बीच विवादों को द्विपक्षीय रूप से सुलझाया जाएगा और युद्ध विराम रेखा नियंत्रण रेखा (एलओसी) बन जाएगी।

कश्मीर के संबंध में, इसमें कहा गया कि “पिछले 25 वर्षों से दोनों देशों के बीच संबंधों को प्रभावित करने वाले बुनियादी मुद्दों और संघर्ष के कारणों को शांतिपूर्ण तरीकों से हल किया जाएगा”। इसने दोनों देशों को स्थायी शांति और सामान्यीकरण के तौर-तरीकों और व्यवस्थाओं पर चर्चा करने के लिए भी बाध्य किया। हालांकि, अब पाकिस्तान ने शिमला समझौते को तोड़ने का ऐलान किया है। इसका मतलब है कि पाकिस्तान ने एलओसी को तात्कालिक सीमा मानने से इनकार कर दिया है। इससे अब दोनों देश एक दूसरे के क्षेत्रों पर हमला कर सकते हैं।

धार्मिक स्थलों की यात्रा पर प्रोटोकॉल प्रोटोकॉल
यह एक द्विपक्षीय समझौता है, जिस पर दोनों देशों ने 1974 में हस्ताक्षर किया था। इसका उद्देश्य भारत और पाकिस्तान के धार्मिक तीर्थयात्रियों को संबंधित देशों में स्थित तीर्थस्थलों की यात्रा को सुविधाजनक बनाना है।

2018 तक, समझौते में पाकिस्तान में 15 और भारत में पांच ऐसे स्थान शामिल हैं। सिंध के हयात पिताफी में शदानी दरबार, चकवाल में कटासराज धाम, ननकाना साहिब के गुरुद्वारे और गुरुद्वारा पंजा साहिब इस समझौते में शामिल पाकिस्तानी धार्मिक स्थल हैं। वहीं, भारत में, अजमेर शरीफ दरगाह, निज़ामुद्दीन दरगाह और अमीर खुसरो की कब्र की यात्रा के लिए पाकिस्तानियों को वीजा देने का प्रावधान किया गया। इस प्रोटोकॉल के तहत, किसी भी धार्मिक उत्सव के लिए 3,000 सिख तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान जाने की अनुमति है।

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