सेना को मजबूत और हाईटेक बनाने के काम में तेजी
CRPF जवानों को मिली खास AI फेस रिकग्निशन टॉर्च

नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर के बहुत से इलाके सैनिकों के लिए भी संवदेनशील होते हैं। सीमापार से आने वाली गोली से ज्यादा खतरा घुसपैठ करके आए आतंकियों से होता है और उन्हें पकड़ना बहुत आसान भी नहीं होता है। कई तरह की चुनौतियों को देखकर ही जम्मू कश्मीर के भीतर सेना को मजबूत और हाईटेक बनाने पर तेजी से काम हुआ है। हालिया पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के साथ तनाव बढ़ा है तो भारतीय सैनिकों को अपनी चौकसी बढ़ानी पड़ी है। इसमें हाईटेक टेक्नोलॉजी का साथ जवानों का काम आसान बनाता है।
CRPF जवानों को मिली खास AI फेस रिकग्निशन टॉर्च
अब CRPF के जवानों को विशेष AI फेस रिकग्निशन टॉर्च दी गई है। ये टॉर्च दिखने में सामान्य लगती है, लेकिन इसमें डेटाबेस कनेक्शन, नाइट विजन और वाइब्रेशन अलर्ट सिस्टम जैसी खूबियां हैं। बस या ट्रेन में इसे घुमाने मात्र से ये आतंकियों और वांछित अपराधियों की पहचान की जा सकती है। पहचान होने पर ये टॉर्च वाइब्रेट होकर खतरे की सूचना देती है और कंट्रोल रूम को संदिग्ध की लोकेशन और जानकारी भी भेजती है।
3000 ब्लास्ट-प्रूफ और नाइट विजन युक्त CCTV कैमरे
कटरा से श्रीनगर तक की रेल लाइन पर 3000 से अधिक ब्लास्ट-प्रूफ और नाइट विजन युक्त CCTV कैमरे लगाए गए हैं। ये कैमरे 100 मीटर तक रात में भी स्पष्ट विजुअल दे सकते हैं और AI के जरिए संदिग्ध हरकतें रिकॉर्ड कर सकते हैं। विश्व के सबसे ऊंचे चिनाब ब्रिज की निगरानी भी इसी सिस्टम से की जा रही है।
कैमरों के साथ खास AI वेपन लोकेटर सॉफ्टवेयर कनेक्ट
जम्मू-कश्मीर के बीच फैले पीर पंजाल रेंज में लगाए गए कैमरों को एक विशेष AI वेपन लोकेटर सॉफ्टवेयर से जोड़ा गया है। ये सॉफ्टवेयर CCTV कैमरों को हथियार पहचानने की क्षमता देता है। चाहे कोई व्यक्ति चरवाहे के भेष में हो या हथियार को कपड़ों में छुपाकर ले जा रहा हो, ये सिस्टम उसकी पहचान कर लेता है। हमारी टीम ने डेमो देखा,जिसमें नकली पिस्तौल को भी सटीकता से पहचाना गया।
मेड इन इंडिया टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल
महत्वपूर्ण बात ये है कि ये पूरी तकनीक भारत में ही विकसित की गई है और इसमें किसी चीनी तकनीक का उपयोग नहीं हुआ है। इन तीन स्तरीय उपायों से ये स्पष्ट है कि घाटी में अब सुरक्षा तंत्र सिर्फ बंदूकों पर नहीं, बल्कि तकनीक और डेटा इंटेलिजेंस पर आधारित होगा। NSA की निगरानी में तैयार ये सुरक्षा ग्रिड आने वाले समय में आतंकियों और उनके नेटवर्क के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन सकता है।