महंगी दवाओं पर सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी

कहा- 'पर्चे में सिर्फ जेनरिक दवा लिखना अनिवार्य बनाने की जरूरत'

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों को किसी विशेष कंपनी की दवाइयां न लिखने की नसीहत दी है। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने डॉक्टरों के अपील की है वो मरीजों के लिए जेनेरिक दवाइयां ही लिखें। सुप्रीम कोर्ट से पहले राजस्थान उच्च न्यायालय ने भी ऐसा ही फैसला सुनाया था।

अकसर कहा जाता है कि डॉक्टर अपने पर्चे पर जेनेरिक दवाएं नहीं लिखते हैं. अब सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि डॉक्टरों को मरीजों के पर्चे पर जेनेरिक दवाएं लिखने को अनिवार्य बनाने की जरूरत है लेकिन ये जेनेरिक दवाएं होती क्या हैं और ब्रांडेड दवाओं से कैसे अलग है.

याचिका में बताया गया था कि सरकार ने यूनिफॉर्म कोड ऑफ फार्मास्यूटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिसेज बना रखा है, लेकिन इसे कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं बनाया गया है. इस कोड के पैराग्राफ 6 और 7 में दवा कंपनियों को डॉक्टरों और बाकी लोगों को तोहफे बांटने या दूसरे लाभ पहुंचाने से मना किया गया है, लेकिन इस कोड को कानून का रूप नहीं दिया गया है.

‘डॉक्टरों के लिए जेनेरिक दवा लिखना अनिवार्य बनाने की जरूरत’
गुरुवार (1 मई) को याचिका जस्टिस विक्रम नाथ, संजय करोल और संदीप मेहता की बेंच में सुनवाई के लिए लगी. बेंच ने कहा कि अगर पूरे देश में डॉक्टरों के लिए जेनेरिक दवा लिखना अनिवार्य बना दिया जाए तो यह समस्या हल हो जाएगी. जस्टिस मेहता ने कहा, “राजस्थान में यह सरकारी आदेश है कि डॉक्टर पर्चे में किसी ब्रांड नाम की दवा नहीं लिखेंगे. यह आदेश हाई कोर्ट के एक फैसले के आधार पर जारी किया गया.”

कोर्ट ने याचिकाकर्ता को 2011 में ‘विजय मेहता बनाम राज्य सरकार’ मामले में आए राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले को रिकॉर्ड पर रखने के लिए कहा. मामले की अगली सुनवाई 24 जुलाई को होगी. सरकार की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि इंडियन मेडिकल काउंसिल ने डॉक्टरों को जेनेरिक दवा लिखने के निर्देश दिए हैं. इस मसले पर स्वास्थ्य मामलों की संसदीय कमिटी ने भी रिपोर्ट दी है. उसे लागू करने पर विचार किया जा रहा है.

3 जजों की बेंच ने सुनाया फैसला
सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की पीठ संदीप मेहता, विक्रम नाथ और संजय करोल ने यह आदेश दिया है। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा- डॉक्टरों पर अक्सर दवा कंपनियों से रिश्वत लेने का आरोप लगता है। ऐसे में अगर डॉक्टर जेनेरिक दवाएं लिखेंगे, तो उनपर लगने वाले इल्जाम का मुद्दा भी हल हो जाएगा। इससे पहले राजस्थान हाईकोर्ट ने भी इस संबंध में कार्यकारी आदेश जारी किया था।

डॉक्टरों को दिया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि “डॉक्टरों को मरीजों के लिए जेनेरिक दवाइयां ही लिखी होंगी। डॉक्टर मरीजों को किसी विशेष कंपनी की दवाएं नहीं लिख सकते हैं। इस फैसले से चिकित्सा क्षेत्र में भी सुधार की उम्मीद की जा रही है।”

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