लखनऊ विश्वविद्यालय में अध्ययन में बढ़ रही विदेशी छात्रों की रुचि

उत्तर भारत में यह उपलब्धि को पाने वाला पहला शैक्षणिक संस्थान

लखनऊ : देश में उच्च शिक्षा के प्रतिष्ठित केंद्र लखनऊ विश्वविद्यालय ने अब वैश्विक मंच पर एक नई पहचान गढ़ी है। बीते कुछ वर्षों में इस संस्थान ने जिस गति से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साख बनाई है, वह न केवल प्रशंसनीय है बल्कि प्रेरणादायक भी।

शैक्षणिक सत्र 2025–26 के लिए विश्वविद्यालय को अब तक 76 देशों से कुल 2,379 विदेशी विद्यार्थियों के आवेदन प्राप्त हुए हैं। यह संख्या लखनऊ विश्वविद्यालय के इतिहास में अब तक की सर्वाधिक है और यह इस बात का प्रमाण भी कि यह संस्थान अब वैश्विक छात्र-छात्राओं के लिए एक आकर्षक गंतव्य बन चुका है।

बीते चार वर्षों के आंकड़े इस विकास को और स्पष्ट करते हैं। यहां 2021–22 में 637 आवेदन मिले तो 2022–23 में यह संख्या 814 तक पहुंची। 2023–24 में 1,365 आवेदन आए तो 2024–25 में 1769 आवेदन आए थे। शैक्षणिक सत्र 2025–26 में आए आवेदनों ने एक रिकार्ड बना दिया।

यह न केवल संख्यात्मक वृद्धि है, बल्कि यह विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गुणवत्ता, वैश्विक दृष्टिकोण और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ती प्रतिष्ठा का प्रमाण भी है। इस परिवर्तनशील यात्रा के केंद्र में हैं कुलपति प्रोफेसर आलोक कुमार राय, जिनके नेतृत्व में विश्वविद्यालय ने अपने शैक्षणिक ढांचे, पाठ्यक्रमों और अधोसंरचना को वैश्विक मानकों के अनुरूप रूपांतरित किया है। उनका कहना है, ‘हमने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप एक ऐसी प्रणाली विकसित की है जो शिक्षार्थी को वैश्विक दृष्टिकोण और समग्र विकास का अवसर देती है।’

भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आइसीसीआर) के माध्यम से विश्वविद्यालय को 2,153 आवेदन प्राप्त हुए हैं, जबकि स्टडी इन इंडिया और ईडीसीआईएल जैसे सरकारी कार्यक्रमों के तहत 176 आवेदन मिले हैं। इसके अतिरिक्त, 50 विदेशी विद्यार्थी सीधे प्रवेश के लिए रुचि दिखा चुके हैं। आवेदन की प्रक्रिया जून के अंत तक जारी रहेगी, अतः यह संख्या और बढ़ सकती है।

 

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