अमेरिका के बंकर बस्टर से भी खतरनाक मिसाइल तैयार कर रहा भारत

अग्नि-V का नया पारंपरिक वैरिएंट भारत की रक्षा रणनीति में एक क्रांतिकारी कदम

नई दिल्ली : भारत की सैन्य रणनीति अब निर्णायक मोड़ पर है. पाकिस्तान की चालबाजियों और चीन के विस्तारवादी रवैये के खिलाफ भारत ने अपनी रक्षा क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने की ठोस योजना शुरू कर दी है. इस बार भारत केवल “जवाब” नहीं देगा, बल्कि ऐसा वार करेगा जिससे दुश्मन फिर उठने की हिम्मत न कर सके. भारत ने अपनी सबसे घातक इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-V का एक नया पारंपरिक (गैर-परमाणु) वैरिएंट विकसित करना शुरू किया है, जो विशेष रूप से पाकिस्तान के गहरे भूमिगत ठिकानों और सैन्य ठिकानों को एक ही हमले में तबाह करने में सक्षम होगा.

अब तक अग्नि-V को परमाणु हथियार-वाहक मिसाइल के रूप में जाना जाता था, जिसकी रेंज 7,000 किलोमीटर से अधिक है. लेकिन भारत अब इसका एक नया संस्करण बना रहा है, जो परमाणु बम नहीं बल्कि 7.5 टन के भारी पारंपरिक वारहेड से लैस होगा. इस मिसाइल की रेंज 2000 से 2500 किलोमीटर के बीच होगी, जो इसे पूरे पाकिस्तान के भीतर कहीं भी निशाना साधने में सक्षम बनाती है.

यह मिसाइल घातक प्रकार के वारहेड से लैस होगी-पहला एयरबर्स्ट वारहेड, जो हवा में फटकर विशाल क्षेत्र में सैन्य ढांचे और हवाई अड्डों को तबाह कर सकता है. दूसरा बंकर-बस्टर वारहेड, जो जमीन के 80 से 100 मीटर नीचे छिपे दुश्मन के ठिकानों को भेदने में सक्षम होगा.

पाकिस्तान के किराना हिल्स जैसे अति गोपनीय परमाणु भंडारण केंद्र अब सुरक्षित नहीं रहेंगे. भारत की यह मिसाइल उन्हें सतह के नीचे से निकालकर पूरी तरह खत्म करने की क्षमता रखती है. एयरबर्स्ट वारहेड का प्रयोग कर भारत पेशावर, कराची और इस्लामाबाद जैसे शहरों के सैन्य हवाई अड्डों को एक ही हमले में निष्क्रिय कर सकता है. इसका मतलब है-जमीनी युद्ध से पहले ही दुश्मन की वायुसेना को तबाह करना.

इस मिसाइल की रेंज और वजन को संतुलित करने के लिए डिज़ाइन में बदलाव और परीक्षण की आवश्यकता होगी. इसके पहले परीक्षण में अभी कुछ समय लगेगा और इसे भारतीय स्ट्रैटेजिक फोर्सेस कमांड में शामिल होने में सालों लग सकते हैं. इस मिसाइल पर अतिरिक्त बजट भी लग सकता है. फिर भी, यह भारत की सैन्य रणनीति में एक ऐतिहासिक कदम है, जो देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा और क्षेत्रीय ताकतों को स्पष्ट संदेश देगा कि भारत किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार है.

अमेरिका से भी आगे निकलेगा भारत?
इस मिसाइल में प्रयोग होने वाला 7.5 टन वारहेड अमेरिका की सबसे घातक गैर-परमाणु बम GBU-57 से तीन गुना भारी होगा. इसका मतलब है-भारत अब दुनिया की सबसे ताकतवर पारंपरिक मिसाइलों की कतार में सबसे आगे खड़ा होगा. इस मिसाइल में प्रयोग होने वाला नैविगेशन सिस्टम, रिंग लेजर गायरोस्कोप और नेविक/GPS आधारित प्रणाली से जुड़ा है, जिससे इसकी सटीकता 10 मीटर से भी कम है. मतलब यह है कि चाहे दुश्मन कितना भी गहरा छिपा हो, यह मिसाइल सीधा वहीं वार करेगी.

भविष्य की तैयारी और रणनीतिक संदेश
DRDO अभी इस मिसाइल के प्रारंभिक विकास चरण में है. डिजाइन और इंजीनियरिंग का कार्य शुरू हो चुका है, लेकिन इसका पहला परीक्षण अभी बाकी है. मिशन दिव्यास्त्र में भारत ने MIRV तकनीक का सफल परीक्षण पहले ही कर लिया है, जो इसे और खतरनाक बना देगा. इस मिसाइल का विकास पाकिस्तान और चीन को यह स्पष्ट संदेश देता है कि भारत अब केवल जवाब देने वाला देश नहीं रहा, बल्कि पहला और निर्णायक वार करने की क्षमता भी रखता है-वह भी बिना परमाणु हथियार के.

यह मिसाइल भारत को न केवल दक्षिण एशिया में सैन्य प्रभुत्व दिलाएगी, बल्कि वैश्विक सामरिक समीकरणों में भी भारत की स्थिति को मजबूत करेगी. इसका विकास इस बात का सबूत है कि भारत अब तकनीकी, रणनीतिक और सैन्य मोर्चे पर आत्मनिर्भर होकर आगे बढ़ चुका है-और अब कोई भी दुश्मन इसे आंख दिखाने की हिम्मत नहीं कर सकता.

> तकनीकी मजबूती और खौफनाक सटीकता
> सटीकता: 10 मीटर से कम CEP, यानी जो निशाना लिया, वो मारा.
> गति: मैक 24 यानी करीब 29,400 किमी प्रति घंटा – दुनिया की सबसे तेज मिसाइलों में एक.
> गाइडेंस सिस्टम: रिंग लेजर गायरोस्कोप और नैविक आधारित मार्गदर्शन.
> मटेरियल: हल्का कंपोजिट, जिससे वजन कम और रेंज अधिक.
> लॉन्च सिस्टम: कैनिस्टर-बेस्ड, यानी कहीं भी, कभी भी लॉन्च.
> अंतरराष्ट्रीय असर और क्षेत्रीय संतुलन
> हथियारों की दौड़: पाकिस्तान और चीन इस मिसाइल के जवाब में नई मिसाइलें ला सकते हैं.
> रणनीतिक संदेश: भारत किसी भी खतरे का जवाब परमाणु के बिना भी दे सकता है.

मध्य-पूर्व तक पहुंच: यह मिसाइल सऊदी अरब और ईरान तक भी जा सकती है, हालांकि भारत की नीति रक्षा पर केंद्रित रहेगी. कूटनीतिक संकेत: भारत अब सिर्फ एक क्षेत्रीय ताकत नहीं, बल्कि हिंद महासागर और एशिया में संतुलन तय करने वाली शक्ति बन चुका है.

भविष्य की तैयारी: अग्नि-VI और नौसेना मिसाइलें
DRDO अब अग्नि-VI पर काम कर रहा है जिसकी रेंज 8000 से 12000 किमी होगी और वह 10 MIRV (एक साथ कई टारगेट) ले जा सकेगी. भारत K-4 और K-15 जैसी सबमरीन लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइलें भी तैयार कर रहा है. यह न्यूक्लियर ट्रायड की दिशा में भारत का अंतिम कदम होगा.

 

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