हनीट्रैप में ISI इस्तेमाल कर रही है भारतीय सिम कार्ड

पाकिस्तान कैसे पहुंचे भारत के नंबर, सुरक्षा एजेंसियों की जांच में इस बात का खुलासा

नई दिल्ली : सुरक्षा एजेंसियों ने जासूसी मामले में बड़ा खुलासा किया है। जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी ISI अधिकारियों को हनीट्रैप में फंसाने के लिए भारतीय नंबर का इस्तेमाल कर रही है। पाकिस्तान से कई भारतीय नंबर ऑपरेट हो रहे हैं। खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक, आपरेशन सिन्दूर के बाद पाकिस्तान से दर्जनों नंबर एक्टिव हुए हैं। इन नंबर्स के जरिए पाकिस्तान में लगातार बातचीत हो रही थी।

आखिर ये भारतीय सिम कार्ड पाकिस्तान के पास पहुंचे कैसे?
अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में पकड़े गए हसीन ने पाकिस्तानी ISI को कई भारतीय सिम मुहैया करवाई थी। पूछताछ में हसीन ने बताया की उसने पाकिस्तान में बैठे PIO को भारतीय नंबर के OTP बताए, जिसके जरिए पाकिस्तान में बैठे हैंडलर व्हाट्सएप्प और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफार्म का इस्तेमाल भारतीय नंबर से ऑपरेट कर रहे हैं। इन नंबर का इस्तेमाल अधिकारियों को हनीट्रैप में फंसाने के लिए किया जा रहा है।

पूछताछ में किन बातों का खुलासा हुआ?
जासूसी के आरोप में गिरफ्तार दोनों भाई कासिम और हसीन से पूछताछ हो रही है। 2 अलग-अलग टीमें दोनों भाईयों से पूछताछ कर रही है। दोनों भाइयों का आमना-सामना करवा कर उनसे एक जैसे ही सवाल पूछे जा रहे हैं। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने DRDO के अधिकारी को संपर्क किया है।

DRDO के अधिकारी को हनी ट्रैप में फंसाने की कोशिश की गई थी। खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक, आपरेशन सिन्दूर ने बाद पाकिस्तान से दर्जनों नंबर एक्टिव हुए थे। इन नंबर्स के जरिए पाकिस्तान में लगातार बातचीत हो रही थी। खुफिया एजेंसियों के लिये हैरानी की बात ये थी कि जिस नंबर से पाकिस्तान से कॉल आ रहा था और जिस नंबर पर भारत में बात और मैसेजिंग हो रही थी दोनों भारतीय सिम थे। ऐसे में खुफिया एजेंसियों का अलर्ट होना लाजमी था।

कैसे पकड़ा गया जासूसी नेटवर्क?
खुफिया एजेंसी IB पिछले काफी समय से सर्विलांस कर रही थी। आपरेशन सिंदूर के दौरान कुछ ऐसे नंबर एक्टिव हुए जो काफी समय से बंद थे। ये नंबर पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान, दिल्ली, गुजरात और असम में एक्टिव थे। एन्क्रिप्टेड एप पर भी इन नंबर की गतिविधि बढ़ गयी थी। पेमेंट गेटवे के जरिए पैसे भी इन्हीं नंबर पर गए जिसके बाद इन नंबरों को ट्रैक किया गया और जासूसी नेटवर्क का खुलासा हुआ।

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