संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से 12 अगस्त तक

विपक्ष की विशेष सत्र की मांग के बीच 47 दिन पहले तारीखों के एलान

नई दिल्ली : पहलगाम आतंकी हमला और उसके बाद ऑपरेशन सिंदूर समेत कुछ महत्वपूर्ण घटनाक्रम इन दिनों राजनीति का ताप बढ़ाए हुए हैं। विपक्ष की ओर से विशेष सत्र बुलाने की मांग हो रही है। इस बीच 21 जुलाई से 12 अगस्त तक मानसून सत्र की घोषणा हो गई है। यानी कि विशेष सत्र का औचित्‍य ही खत्‍म हो गया।

मानसून सत्र की तारीखों का एलान होते ही विपक्ष हमलावर हो गया है। विपक्ष की ओर से आरोप लगाया जा रहा है कि विशेष सत्र से बचने के लिए ही डेढ़ महीने पहले सत्र की घोषणा कर दी गई है। संसद के मॉनसून सत्र के संबंध में हुई बैठक और प्रस्तावित तिथि की पुष्टि केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को की।

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि संसदीय मामलों के अध्यक्ष केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह फैसला हुआ है। यह भी कहा कि संसदीय परंपराओं और नियमों के तहत किसी भी विषय पर चर्चा के लिए सरकार तैयार है।

इस सत्र में विभिन्न मंत्रालयों के महत्वपूर्ण विधेयक-प्रस्तावों के साथ ही भ्रष्टाचार के आरोप में घिरे इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के विरुद्ध महाभियोग प्रस्ताव लाया जाएगा। कथित भ्रष्टाचार के मामले में उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए सरकार सर्वदलीय सहमति बनाने का प्रयास करेगी।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने अपने शब्दों से स्पष्ट कर दिया है कि विपक्ष ने कमर कस ली है और मानसून सत्र का हंगामेदार होना तय है। उन्होंने कहा है कि मानसून सत्र के दौरान तमाम मुद्दे, जो राष्ट्रहित में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, चर्चा के केंद्र में रहेंगे। प्रधानमंत्री ने भले ही विशेष सत्र से खुद को अलग रखा हो, लेकिन छह सप्ताह बाद उन्हें इन कठिन सवालों का जवाब देना ही होगा।

 

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