आरजेडी ने कैसे घोंपा था ‘पीठ में खंजर’?

पटना: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के बिहार प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ गठबंधन करने की इच्छा जताई है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी वोटों का बिखराव रोकना चाहती है और इसके लिए उन्होंने RJD नेता तेजस्वी यादव को उनके दूसरी पंक्ति के नेताओं के माध्यम से गठबंधन का प्रस्ताव भेजा है। अख्तरुल ईमान ने कहा, ‘हम वोटों का बिखराव नहीं होने देना चाहते हैं, और इसलिए हमने तेजस्वी यादव से महागठबंधन में शामिल होने का प्रस्ताव उनके दूसरी पंक्ति के नेताओं के माध्यम से भेजा है। अब फैसला उनको करना है।’

RJD ने कैसे घोंपा था ‘पीठ में खंजर’?
अख्तरुल ईमान ने यह भी चेतावनी दी कि यदि महागठबंधन उनका प्रस्ताव स्वीकार नहीं करता, तो AIMIM थर्ड फ्रंट बनाने के लिए अन्य दलों से बातचीत शुरू करेगी। उन्होंने RJD पर ‘पीठ में खंजर घोंपने’ का आरोप लगाया, जिसका संदर्भ 2022 में हुए एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम से है। 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में AIMIM ने सीमांचल क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन करते हुए 5 सीटें जीती थीं। इनमें अमौर, कोचाधामन, जोकीहाट, बैसी, और बहादुरगंज शामिल थीं। लेकिन जून 2022 में AIMIM को उस समय तगड़ा झटका लगा, जब उसके 5 में से 4 विधायक मुहम्मद इजहार असफी (कोचाधामन), शाहनवाज आलम (जोकीहाट), सैयद रुकनुद्दीन अहमद (बैसी), और अंजार नईमी (बहादुरगंज) RJD में शामिल हो गए। इस घटना के बाद RJD बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बन गई थी।

2020 विधानसभा चुनाव में AIMIM का प्रदर्शन
2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में AIMIM ने सीमांचल के मुस्लिम-बहुल क्षेत्रों में मजबूत प्रदर्शन किया था। पार्टी ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा और सबको चौंकाते हुए 5 सीटें अमौर, कोचाधामन, जोकीहाट, बैसी, और बहादुरगंज को जीत लिया। इस प्रदर्शन ने AIMIM को बिहार की सियासत में एक उभरती ताकत के रूप में स्थापित किया, खासकर सीमांचल क्षेत्र में, जहां उसने RJD के परंपरागत मुस्लिम-यादव वोट बैंक में सेंध लगाई। हालांकि, 4 विधायकों के RJD में चले जाने से पार्टी की ताकत कमजोर हुई, और वर्तमान में अख्तरुल ईमान (अमौर) AIMIM के एकमात्र विधायक हैं।

गठबंधन की संभावनाएं और चुनौतियां
AIMIM की ओर से महागठबंधन में शामिल होने का प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन RJD और कांग्रेस की ओर से अभी तक कोई औपचारिक जवाब नहीं मिला है। महागठबंधन के भीतर पहले से ही सीट बंटवारे को लेकर तनाव है, और AIMIM की एंट्री से यह और जटिल हो सकता है। कुछ राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि AIMIM का महागठबंधन में शामिल होना मुस्लिम वोटों को एकजुट करने में मदद कर सकता है, लेकिन यह RJD और कांग्रेस के कोर मुस्लिम वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है। अख्तरुल ईमान ने साफ किया कि अगर महागठबंधन उनका प्रस्ताव ठुकराता है, तो AIMIM थर्ड फ्रंट बनाने के लिए अन्य दलों से बात करेगी।

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