विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया यूरोप में भारत का सबसे भरोसेमंद दोस्त

पेरिस में रणनीतिक समुदाय से मिले एस. जयशंकर

मार्सिले : वैश्विक राजनीति में एक कहावत बहुत पहले से चली आ रही है कि यहां कोई भी पूरी तरह से दुश्मन या दोस्त नहीं होता है। बल्कि समय के हिसाब से दोस्त और दुश्मन बदलते रहते हैं। हालांकि कई देश ऐसे होते हैं जिन पर आप किसी समय पर पूरी तरह से भी भरोसा कर सकते हैं। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यूरोप में भारत का सबसे ज्यादा भरोसेमंद दोस्त फ्रांस को बताया है। एक कार्यक्रम में बात करते हुए उन्होंने कहा कि फ्रांस कई मायनों में भारत का सबसे भरोसेमंद साझेदार है।

रायसीना मेडिटेरेनियन 2025 कार्यक्रम में अपनी राय रखते हुए उन्होंने यूरोप की वर्तमान वैश्विक नीति पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि यूरोप अब पहले से ज्यादा रणनीतिक और निर्णय लेने की क्षमता को लेकर जागरुक हो गया है। वह वैश्विक मुद्दों पर सामूहिक दृष्टिकोण के बजाय यूरोपीय दृष्टिकोण से सोचता है।

विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, “मैं इस बात से पूरी तरह से सहमत हूं कि फ्रांस आज कई-कई मायनों में यूरोप में हमारा सबसे विश्वसनीय साझेदार है। दोनों देशों के बीच में यह आपसी विश्वास का मतलब है कि हम एक-दूसरे के साथ सहज हैं। दो देश इसे कैसे प्राप्त करते हैं?… कई बार समान मूल्यों के जरिए और कभी-कभी यह कहकर कि मेरी मुश्किल में आपने हमारा समर्थन किया और हमारी सुरक्षा आवश्यकताओं के लिए अपना पूरा समर्थन दिया।”

जयशंकर ने कहा, “फ्रांस के साथ हमारा विश्वास का यह रिश्ता किसी एक दिन में नहीं बना.. ऐसा नहीं हुआ कि किसी दिन दो लोग उठे और कह दिया कि आप हमारे सबसे विश्वसनीय साझेदार हैं। यह साझेदारी अनुभव के आधार पर हुई है.. हाल ही में हम अपनी कुछ सुरक्षा चिंताओं के एक अनुभव से गुजरे हैं.. इस दौर में हमने देखा है कि कौन हमारे साथ था… किस पर हम भरोसा कर सकते थे.. और किसके साथ मैं सहज था। निश्चित तौर पर यह भविष्य में हमारे फैसलों पर असर डालेगा।”

फ्रांस के विदेश मंत्री नोएल बैरोट के साथ हुई अपनी बैठक के बारे में बात करते हुए जयशंकर ने कहा कि दोनों पक्षों ने ‘रक्षा, असैन्य परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष, आतंकवाद के खिलाफ कदमों, लोगों के आपसी संबंधों, नवोन्मेष, कृत्रिम मेधा (एआई), प्रौद्योगिकी समेत’’ विभिन्न विषयों पर ‘‘व्यापक चर्चा की।’’

हिंद-प्रशांत क्षेत्र के संदर्भ में उन्होंने कहा कि दोनों देश ऐसे स्वतंत्र एवं खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र का साझा दृष्टिकोण रखते हैं, जहां अंतरराष्ट्रीय कानून एवं समुद्री सुरक्षा को बरकरार रखा जाता है।

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