पहलगाम हमला बिना आतंकी फंडिंग के संभव नहीं-FATF
कहा- ऐसे हमले सिर्फ बंदूक से नहीं होते, इनके पीछे फाइनेंशियल नेटवर्क

नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंक की फंडिंग पर नजर रखने वाली संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पहलगाम आतंकी हमले को लेकर बड़ा बयान दिया है. FATF ने साफ कहा है कि ऐसे सुनियोजित आतंकी हमले केवल हथियारों और बंदूक के दम पर नहीं होते, इनके पीछे मजबूत फाइनेंशियल नेटवर्क और धन का प्रवाह होता है. FATF के मुताबिक पहलगाम जैसा हमला बिना किसी आर्थिक मदद और समर्थन के संभव नहीं था. FATF का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब भारत बार-बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन देने का मुद्दा उठा रहा है.
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटक मारे गए थे, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था. इस हमले के बाद से भारत लगातार आतंकी नेटवर्क के पीछे की फंडिंग के स्रोतों की जांच कर रहा है. अब FATF ने भी इस दिशा में अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि ऐसे हमले केवल हथियारों से नहीं, बल्कि उनके पीछे सुनियोजित आर्थिक सपोर्ट सिस्टम होता है.
FATF ने अपने बयान में दो टूक कहा कि आतंकवादी हमले सिर्फ जान-माल का नुकसान नहीं करते, वे वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा हैं. इस प्रकार की गतिविधियों को तभी रोका जा सकता है जब उनके फाइनेंशियल नेटवर्क को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया जाए.
पाकिस्तान के ‘ग्रे लिस्ट’ में लौटने की आशंका
भारत की ओर से FATF के समक्ष पाकिस्तान के खिलाफ एक मजबूत डोजियर तैयार किया जा रहा है, जिसमें आतंकी संगठनों को दी जा रही वित्तीय मदद और मनी लॉन्ड्रिंग के ठोस सबूत शामिल होंगे.
सूत्रों के अनुसार, अगर भारत इस डोजियर को प्रभावी ढंग से पेश करता है, तो पाकिस्तान एक बार फिर से FATF की ‘ग्रे लिस्ट’ में लौट सकता है. इस लिस्ट में आने का मतलब है कि पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और अंतरराष्ट्रीय लेनदेन पर भारी निगरानी बढ़ जाएगी.
FATF की एशिया-पैसिफिक ग्रुप (APG) की अगली बैठक 25 अगस्त को होने वाली है, जबकि FATF का वर्किंग ग्रुप अक्टूबर में बैठक करेगा. भारत इन बैठकों में पाकिस्तान के खिलाफ सभी दस्तावेज पेश करने की तैयारी कर रहा है.
गौरतलब है कि 2018 में FATF ने पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में डाला था, जिसके बाद पाकिस्तान ने आतंकी फंडिंग रोकने के लिए कई वादे किए थे. 2022 में FATF ने उसे ग्रे लिस्ट से हटाया था, लेकिन हालिया घटनाएं बता रही हैं कि पाकिस्तान आतंकियों के फाइनेंशियल नेटवर्क पर पूरी तरह से लगाम नहीं लगा सका है.
भारत का आरोप है कि पाकिस्तान ने अब भी मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी फंडिंग रोकने के FATF के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया है. FATF हर साल तीन अहम मीटिंग करता है, जिनमें फरवरी, जून और अक्टूबर शामिल हैं. भारत इस साल की शेष दो बैठकों में पाकिस्तान का मसला मजबूती से उठाने की तैयारी में है.
IMF बेलआउट पैकेज पर भी भारत की आपत्ति
भारत ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा पाकिस्तान को दिए गए 2.4 बिलियन डॉलर के बेलआउट पैकेज का भी कड़ा विरोध जताया था. भारत का कहना था कि जब पाकिस्तान की आतंकवाद से निपटने की नीयत संदिग्ध है, तब ऐसे आर्थिक समर्थन का कोई औचित्य नहीं है IMF ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए पाकिस्तान के सामने 11 नई सख्त शर्तें रख दी हैं. इन शर्तों में संसद से बजट पास कराना, बिजली बिलों पर अतिरिक्त सरचार्ज लगाना और पुरानी कारों पर आयात प्रतिबंध हटाना शामिल है.
क्या फिर से अंतरराष्ट्रीय दबाव में आएगा पाकिस्तान?
FATF का ताजा बयान पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका है. अगर आने वाली बैठकों में भारत अपने साक्ष्यों के साथ यह साबित कर देता है कि पाकिस्तान अब भी आतंकियों को फंडिंग का रास्ता दे रहा है, तो पाकिस्तान न केवल फिर से ग्रे लिस्ट में आ सकता है, बल्कि उसकी अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मदद भी संकट में पड़ सकती है.
यह मामला अब केवल भारत-पाकिस्तान के बीच का नहीं रह गया है. यह वैश्विक सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता और आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय लड़ाई का हिस्सा बन चुका है. आने वाले महीनों में FATF का रुख और भारत की कूटनीतिक रणनीति इस मुद्दे की दिशा तय करेगी.