2022 में विस चुनाव लड़ना मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी सियासी चूक : हरीश रावत

रावत ने 2027 में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का एलान किया

देहरादून : पूर्व सीएम हरीश रावत ने 2027 में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने का एलान किया है। इसके बावजूद वह कुमाऊं में लगातार सक्रिय हैं। लगभग हर जिले में जा रहे हैं। प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस की वापसी के लिए पार्टी के भीतर और जनता की नब्ज टटोल रहे हैं। मंदिरों में जाकर न्याय की गुहार लगा रहे हैं।

उन्होंन कहा- कांग्रेस के पास इस समय दो प्रकार के प्रचारकों की कमी है। एक जो पूरे प्रदेश में समन्वय स्थापित कर प्रचार को गति दे सकें। दूसरा राष्ट्रीय स्तर के जो स्टार प्रचारक उनकी ओर से बनाए गए, माहौल को गति दे सकें। यदि 2022 में चुनाव नहीं लड़ता तो कांग्रेस निश्चित तौर पर सत्ता में आती। मैं चाहता हूं कि 2027 में वह गलती न करूं। इसलिए मैंने ऑफर किया कि मैं चुनाव नहीं लडूंगा। 2022 में मुझे चुनाव लड़ने के लिए सहमत नहीं होना चाहिए था। ये मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी चूक है। ये जानते हुए भी कि मैं हार जाऊंगा। मुझे लालकुआं में नॉमिनेशन फाइल नहीं करना चाहिए था। मुझे पार्टी के जनरल सेक्रेटरी इंचार्ज की बात नहीं माननी चाहिए थी।

1990 में कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर भी हार गई और उत्तर प्रदेश में हम बुरी स्थिति में आ गए। पीएम नरसिम्हा राव उत्तराखंड को केंद्र शासित राज्य देने जा रहे थे तो नारायण दत्त तिवारी ने गोविंद बल्लभ पंत का उदाहरण देकर कहा, राज्य का बंटवारा मेरी लाश के ऊपर से होगा। उनका कहना था कि आज उत्तर प्रदेश का नेतृत्व भी समाप्त किया जा रहा है।

अपनी बात कहते हुए उन्होंन कहा जून की तपती दोपहर में किसी को तो पानी की बूंदें डालनी पड़ती हैं। जो स्वर उस समय थे निकल गया गुस्सा, अब धीरे धीरे बदल जाएंगे। मैं यहां आया हूं, किसी को तो परिवार में भूमिका अदा करनी पड़ेगी। आप देखिएगा जो विद्रोह के स्वर कांग्रेस के लिए निकले थे, वह कांग्रेस के लिए एसेट के रूप में बदलेंगे। आप कुछ हमारा हुनर भी देखिए। 2027 में जीतेंगे मुझे पूरा भरोसा है, क्योंकि आज जो सरकार है वह झूठ, लूट और फूट पर आधारित है। उत्तराखंड देवभूमि है जो झूठ फरेब को माफ नहीं करती। देवता जोड़ते हैं तोड़ते नहीं हैं। भाजपा झूठ, लूट और फूट की पार्टी है। यह ज्यादा दिन तक सत्ता में नहीं रह सकती, जिसका 2027 में निश्चित रूप से पता चल जाएगा।

 

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