बिहार चुनाव : आजाद समाज पार्टी ने विधानसभा प्रभारियों की पहली सूची जारी
चंद्रशेखर ने खोले अपने 40 पत्ते, कई लोगों की धड़कनें बढ़ेंगी

पटना (बिहार) : आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अपने 40 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है. इस सूची की पार्टी ने अपने फेसबुक पेज पर जारी किया. उत्तर प्रदेश के नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद की पार्टी बिहार चुनाव के लिए उम्मीदवारों की घोषणा करने वाली दूसरी पार्टी बन गई है. इससे पहले असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने अपने दो उम्मीदवारों की सूची घोषित की थी. चुनाव आयोग ने अभी बिहार चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं किया है.
चंद्रशेखर आजाद ने चुनाव की घोषणा से पहले उम्मीदवारों की घोषणा करके बड़ी बाजी मार ली है. उन्होंने यह काम तब किया है जब बिहार के दो प्रमुख गठबंधन एनडीए और महागठबंधन ने अभी सीट शेयरिंग फार्मूले की भी घोषणा नहीं की है. उम्मीदवारों की घोषणा कर चंद्रशेखर ने अपने उम्मीदवारों को तैयारी और चुनाव प्रचार के लिए अधिक समय देने की कोशिश की है. आजाद समाज पार्टी के बिहार चुनाव में उतरने से दलित, पिछड़े और मुस्लिम वोटों में बंटवारा हो सकता है.
चंद्रशेखर आजाद की नजर बिहार के करीब 21 फीसदी अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति वोटों पर है.दलित वोट बैंक बिहार की तीसरा सबसे बड़ा वोट बैंक है. दलितों से अधिक आबादी अति पिछड़ा वर्ग और पिछड़ा वर्ग की है. बिहार में यह वोट बैंक मुख्य तौर पर एनडीए और महागठबंधन में बंटा हुआ है. चंद्रशेखर के बिहार के मैदान में उतरने से इसमें बंटवारा हो सकता है. इसका नुकसान इन दोनों प्रमुख गठबंधनों को ही हो सकता है.
चंद्रशेखर बहुजन समाज पार्टी की राह पर चलते हुए बहुजन वोटों में सेंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं. वह यह प्रयोग मध्य प्रदेश में कर चुके हैं. मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में आजाद समाज पार्टी ने 86 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे कोई सफलता नहीं मिली थी. उसके उम्मीदवार 16 सीटों पर तीसरे नंबर पर रहे थे. इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में इस पार्टी ने यूपी की चार सीटों पर चुनाव लड़ा. उसे एक पर जीत मिली तो एक सीट पर उसका उम्मीदवार तीसरे नंबर पर रहा था. दोनों इन सीटों पर आजाद समाज पार्टी ने छह लाख से अधिक वोट हासिल किए थे.
बिहार के चुनाव में चंद्रशेखर का कूदना चिराग पासवान और जीतन राम मांझी के लिए संकट पैदा कर सकता है. क्योंकि इन नेताओं की राजनीतिक दलित और महादलित के आसपास ही सिमटी हुई है. अगर चंद्रशेखर आजाद ने मजबूती से यह चुनाव लड़ लिया तो इन दोनों नेताओं के लिए परेशानी पैदा कर सकते हैं.
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान की लोकजनशक्ति पार्टी (रामविलास) पिछले कुछ समय से बहुजन राजनीति का राग अलापने लगी है.उसकी नजर बिहार के तीन सबसे बड़े वोट बैंक अति पिछड़ा वर्ग, पिछड़ा वर्ग और दलितों के वोट पर है. इन तीनों के साथ मुस्लिम वोटों को मिलाकर बहुजन वोट बैंक बनता है. आजाद समाज पार्टी भी बहुजन राजनीति करती है. ऐसे में चंद्रशेखर आजाद की पार्टी चिराग पासवान के लिए परेशानी पैदा कर सकती है.
बिहार में सबसे अधिक आरक्षित सीटें एनडीए गठबंधन के पास हैं, चंद्रशेखर आजाद के आरक्षित सीटों पर मजबूती से लड़ने पर एनडीए को इन सीटों पर परेशानी उठानी पड़ सकती है. क्योंकि वहां दलित वोटों में सेंध लगने का खतरा रहेगा.
चंद्रशेखर का बिहार के रण में उतरना महागठबंधन के लिए बड़ी चुनौती हो सकती है. इंडिया गठबंधन 2020 के चुनाव में आरक्षित सीटों पर ठीक से प्रदर्शन नहीं कर पाया था. लेकिन लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के प्रदर्शन से महागठबंधन को विधानसभा चुनाव में भी अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इंडिया गठबंधन को दलितों के बड़े हिस्से का समर्थन मिला था.
चंद्रशेखर आजाद का बिहार के रण में उतारना बसपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है. बसपा ने अपने नेशनल कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद को बिहार की जिम्मेदारी दी है. इसे यूपी विधानसभा चुनाव से पहले उनकी परीक्षा मानी जा रही है.यूपी में चंद्रशेखर आजाद और आकाश आनंद में मुकाबला माना जा रहा है. इसलिए मायावती चंद्रशेखर पर हमले करती हैं. इसलिए आकाश आनंद पर चंद्रशेखर आजाद से बेहतर प्रदर्शन करने की चुनौती होगी.
बिहार की राजनीति में पहली बार कूदने जा रहे प्रशांत किशोर की जन सुराज की भी नजर बिहार के दलित वोट बैंक पर है. इसे देखते हुए ही उन्होंने अपनी पार्टी का अध्यक्ष एक दलित को बनाया है. लेकिन चंद्रशेखर आजाद का बिहार के रण में उतरना पीके के लिए भी खतरे की घंटी हो सकती है, जो दिन रात पसीना बहा रहे हैं.
चुनाव की घोषणा से इतना समय पहले अपने उम्मीदवारों की घोषणा करना आजाद समाज पार्टी के लिए अच्छा कदम साबित हो सकता है. उनके उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार और चुनाव की तैयारी का अधिक समय मिलेगा.10- उत्तर प्रदेश में ही आजाद समाज पार्टी का बड़ा आधार माना जाता है. क्योंकि पार्टी प्रमुख चंद्रशेखर वहीं के रहने वाले हैं. यूपी में विधानसभा चुनाव 2027 में होने वाले हैं. ऐसे में बिहार विधानसभा का चुनाव आजाद समाज पार्टी के लिए भी यूपी चुनाव से पहले लिटमस टेस्ट साबित हो सकता है.