स्वदेशी उत्पादन और विविध देशों से हथियारों की खरीद भारत की नीति
पाकिस्तान पूरी तरह चीन पर निर्भर, स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट !

नई दिल्ली : स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिप्री) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2020 के बाद लगभग पूरी तरह चीन पर निर्भर हो गया है। पाकिस्तान द्वारा आयात किए गए हथियारों में प्रमुख रूप से लड़ाकू विमान जेएफ-17 थंडर, एयर डिफेंस सिस्टम, ड्रोन और नौसैनिक जहाज शामिल हैं। पाकिस्तान अब चीन के हथियारों का सबसे बड़ा ग्राहक है। सिप्री की यह रिपोर्ट दक्षिण एशिया में हथियारों की दौड़ और चीन-पाकिस्तान के सामरिक समीकरणों पर रोशनी डालती है। जहां भारत ने स्वदेशी उत्पादन और विविध देशों से खरीद की नीति अपनाई है, वहीं पाकिस्तान का झुकाव एकतरफा रूप से चीन की ओर बना हुआ है। यह आने वाले वर्षों में उसकी रक्षा स्वायत्तता और रणनीतिक स्वतंत्रता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर सकता है।
तुर्किये-इटली प्रमुख आपूर्तिकर्ता, रूस भी शामिल
पाकिस्तान ने तुर्किये से सैन्य हेलिकॉप्टर, ड्रोन तकनीक और नौसैनिक उपकरणों की खरीद की है। दोनों देशों के बीच सैन्य अभ्यास और रक्षा सौदों में बढ़ोतरी देखी गई है। इटली ने पाकिस्तान को सैन्य हेलिकॉप्टर, एविओनिक्स और नेविगेशन सिस्टम बेचे हैं। इटली की फिनमेकेनिका और लियोनार्डो कंपनियों के साथ पाकिस्तान के सौदे हुए हैं। सीमित मात्रा में ही सही लेकिन पाकिस्तान ने रूस से भी कुछ सैन्य तकनीकें और रक्षा उपकरण प्राप्त किए हैं।
चीन इसलिए नहीं बनने देना चाहता पाक को आत्मनिर्भर
विशेषज्ञों के अनुसार चीन रणनीतिक रूप से पाकिस्तान को पूरी तरह आत्मनिर्भर नहीं बनने देना चाहता, क्योंकि वह उसे अपने क्षेत्रीय प्रभाव और हथियार बाजार में एक स्थायी ग्राहक और सहयोगी के रूप में देखता है। विश्लेषकों का मानना है कि चीन पाकिस्तान को तकनीक तो हस्तांतरित करता है, लेकिन सीमित और नियंत्रित रूप में ताकि पाकिस्तान की निर्भरता बनी रहे और वह चीन की रणनीतिक छाया से बाहर न निकल सके।