BRICS सम्मेलन में PM मोदी का सख्त संदेश

21वीं सदी का सॉफ्टवेयर, 20वीं सदी के टाइपराइटर से नहीं चलेगा

रियो डी जेनिरो (ब्राजील) : 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्राजील के रियो डी जेनिरो में भाग लिया। आधुनिक कला संग्रहालय में आयोजित इस सम्मेलन में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के अलावा, नए सदस्य देश मिस्र, इथियोपिया, ईरान, यूएई, इंडोनेशिया और सऊदी अरब भी शामिल हुए।

सम्मेलन के पहले पूर्ण सत्र में पीएम मोदी ने ग्लोबल साउथ की समस्याओं पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा, ‘विकास, संसाधनों के वितरण और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर ग्लोबल साउथ दोहरे मापदंडों का शिकार रहा है।’ उन्होंने जलवायु वित्त, सतत विकास और तकनीकी पहुंच जैसे विषयों पर भी विकसित देशों के रवैये की आलोचना की।

20वीं सदी का टाइपराइटर…’
ब्राजील के रियो डी जेनेरो में पीएम मोदी ने कतहा- “AI के युग में, जहां हर हफ्ते तकनीक अपडेट होती है, यह स्वीकार्य नहीं है कि कोई वैश्विक संस्थान 80 साल में एक बार भी अपडेट न हो। 20वीं सदी के टाइपराइटर 21वीं सदी के सॉफ्टवेयर को नहीं चला सकते।” पीएम मोदी ने आगे ये भी कहा कि वैश्विक संस्थाओं का 80 साल तक बिना सुधार के चलना अस्वीकार्य है। पीएम मोदी ने कहा कि ‘ग्लोबल साउथ’ के बिना ये संस्थाएं ऐसे मोबाइल फोन की तरह लगती हैं, जिनके अंदर ‘सिम कार्ड’ तो लगा हुआ है, लेकिन नेटवर्क नहीं है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, विश्व व्यापार संगठन और प्रमुख वित्तीय निकायों को सख्त संदेश दिया है। पीएम मोदी ने इन निकायों में सुधार पर जोर देते हुए ये साफ कर दिया है कि 20वीं सदी के टाइपराइटरों पर 21वीं सदी का सॉफ्टवेयर नहीं चलाया जा सकता है। आइए जानते हैं कि पीएम मोदी ने अपने संबोधन में और क्या कुछ कहा है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रमुख वैश्विक निकायों में सुधार पर जोर दिया और कहा कि ग्लोबल साउथ अक्सर दोहरे मानदंडों का शिकार हुआ है। विश्व अर्थव्यवस्था में प्रमुख योगदान देने वाले राष्ट्रों को निर्णय लेने वाले मंच पर जगह नहीं मिल पाती है।

पीएम मोदी ने कहा- “20वीं सदी में गठित वैश्विक संस्थाओं में मानवता के दो तिहाई हिस्से को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देने वाले देशों को निर्णय लेने वाली मेज पर जगह नहीं दी गई है। यह सिर्फ प्रतिनिधित्व का सवाल नहीं है, बल्कि विश्वसनीयता और प्रभावशीलता का भी सवाल है। ग्लोबल साउथ के बिना ये संस्थाएं सिम कार्ड वाले मोबाइल की तरह लगती हैं, लेकिन नेटवर्क नहीं।”

सस्थान समाधान पेश करने में विफल- PM मोदी
पीएम मोदी ने आगे ये भी कहा कि वैश्विक संस्थाओं का 80 साल तक बिना सुधार के चलना अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा- “चाहे वह दुनिया भर में चल रहे संघर्ष हों, महामारी हो, आर्थिक संकट हो या साइबर या अंतरिक्ष में उभरती चुनौतियाँ हों, ये संस्थान समाधान पेश करने में विफल रहे हैं।” पीएम मोदी ने सख्त संदेश देते हुए कहा कि “आज की वैश्विक अर्थव्यवस्था में जिन देशों का बड़ा योगदान है, उन्हें निर्णय लेने वाले मंच पर जगह नहीं दी गई है। मानवता के दो-तिहाई हिस्से को अब भी उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। वैश्विक संस्थाएं ठीक से काम करने या 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने में असमर्थ हैं।”

क्या है ग्लोबल साउथ और BRICS?
आपको बता दें कि ग्लोबल साउथ का आशय उन देशों से है जो कि तकनीक, प्रौद्योगिकी और सामाजिक विकास के मामले में कम विकसित माने जाते हैं। ग्लोबल साउथ के देश मुख्य रूप से दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित हैं जिनमें अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के देश शामिल हैं। ब्रिक्स (BRICS) समूह को ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका समेत 11 उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले देश शामिल हैं। ये देश वैश्विक जनसंख्या का करीब 49.5 प्रतिशत, वैश्विक GDP का करीब 40 प्रतिशत और वैश्विक व्यापार का लगभग 26 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं। (इनपुट: भाषा)

Related Articles

Back to top button