शिवलिंग के साथ कभी नहीं देखा होगा महादेव का त्रिशूल, आखिर क्यों
भगवान शिव के कई रूप हैं, शिवलिंग रूप में उन्हें अधिक देखा जाता है लेकिन उनके शस्त्र त्रिशूल को कभी भी शिवलिंग के साथ नहीं देखा जाता है. ऐसे क्यों, आइए इस बारे में विस्तार से जानें.

महाशिवरात्रि का पर्व हर शिवभक्त के लिए विशेष महत्व रखता है. शिव जी को समर्पित इस त्योहार पर भव्य तरीके से शिवलिंग की पूजा की जाती है. इस कड़ी में आज हम शिवलिंग और शिव मंदिर से जुड़ी एक रोचक बात जानेंगे. दरअसल, जब आप शिवालय या शिव मंदिर जाते हैं या घर में शिवलिंग लेकर आते हैं तो एक विचित्र बात आपको जरूर दिखती होगी, वो ये कि आखिर शिवलिंग के साथ या ज्यादातर शिव मंदिरों में त्रिशूल क्यों नहीं होता.
उर्जा का टकराव
ध्यान दें कि शिवलिंग पर कलश से जल टपकता दिखता है, नागछत्र दिखाई देता है. शिवलिंग के साथ पूरा शिव परिवार यानी माता पार्वती, भगवान कार्तिकेय, अशोकसुंदरी व गणेशजी भी दिखते हैं लेकिन शिव जी का शस्त्र त्रिशूल क्यों शिवलिंग के साथ दिखाई नहीं देता है? आखिर ऐसा क्यों है, आइए इस बारे में विस्तार से जानें. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार त्रिशूल और शिवलिंग दोनों ही महादेव के प्रतीक हैं लेकिन दोनों की ऊर्जा व महत्व भिन्न हैं. त्रिशूल को विनाश और शक्ति का प्रतीक माना गया है. वहीं, दूसरी ओर सृजन और उर्वरता का प्रतीक शिवलिंग की ऊर्जा त्रिशूल से बिल्कुल अलग है. ऐसे में इन दो भिन्न ऊर्जा का टकराव हो सकता है इसलिए इन दोनों तो एक साथ नहीं रखा जाता है.