साइबर लिटरेसी- ई-जीरो FIR से साइबर फ्रॉड पर लगेगी लगाम

10 लाख से ऊपर की धोखाधड़ी पर अपने आप दर्ज होगी FIR, समझें पूरा प्रोसेस

नई दिल्ली : भारत सरकार ने साइबर क्राइम से जुड़ी घटनाओं से निपटने के लिए ई-जीरो FIR सर्विस की शुरुआत की है। इस पहल का उद्देश्य साइबर सुरक्षा को मजबूत बनाना और ऐसे मामलों की जांच प्रक्रिया को तेज करना है।

अगर किसी व्यक्ति ने NCRP पोर्टल या साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर 10 लाख रुपए से अधिक की साइबर ठगी की शिकायत दर्ज कराई है तो यह शिकायत अपने आप जीरो FIR में बदल जाएगी। यह FIR ई-क्राइम पुलिस स्टेशन में दर्ज की जाएगी और इसके बाद उसे संबंधित क्षेत्र के साइबर पुलिस स्टेशन को फॉरवर्ड कर दिया जाएगा।

गौरतलब है कि बीते कुछ वर्षों में देश में साइबर अपराध की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) पर जनवरी 2024 से अप्रैल 2024 के बीच 7.4 लाख से ज्यादा साइबर क्राइम की शिकायतें दर्ज की गईं। इन चार महीनों में साइबर अपराधियों ने लोगों को 1,750 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान पहुंचाया। वहीं इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) के अनुसार, मई 2024 में रोजाना औसतन 7,000 साइबर क्राइम की शिकायतें मिलीं। चिंताजनक बात यह है कि I4C ने साल 2025 में 1.2 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की ठगी की आशंका जताई है।

NCRP के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले चार सालों में भारत में साइबर फ्रॉड की वजह से कुल 33,165 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। हैरान करने वाली बात यह है कि इस कुल नुकसान का लगभग 69% यानी 22,812 करोड़ रुपए सिर्फ साल 2024 में दर्ज किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, टियर-2 और टियर-3 शहर इन साइबर अपराधों के प्रमुख केंद्र बनते जा रहे हैं, जो यह दर्शाता है कि डिजिटल फ्रॉड अब सिर्फ मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं रह गया है।

ई-जीरो FIR क्या है?
ई-जीरो FIR एक नई डिजिटल सुविधा है, जो NCRP या साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर दर्ज साइबर फाइनेंशियल फ्रॉड की शिकायतों को अपने आप जीरो FIR में बदलने का काम करती है। शुरुआत में यह सुविधा 10 लाख रुपए से ज्यादा की फाइनेंशियल फ्रॉड के मामलों पर लागू होगी। इसका उद्देश्य जांच प्रक्रिया को बिना देरी के तुरंत शुरू करना है, ताकि पीड़ित को समय रहते राहत मिल सके।

फिलहाल यह पहल दिल्ली में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की गई है। सरकार का इरादा है कि इसकी सफलता के बाद इसे देशभर में लागू किया जाएगा। सवाल- जीरो FIR का क्या मतलब है? जवाब- जीरो FIR एक ऐसी सुविधा है, जिसमें कोई भी व्यक्ति किसी भी पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज करा सकता है, चाहे अपराध उस थाने के क्षेत्राधिकार में हुआ हो या नहीं। इससे पीड़ित को तुरंत शिकायत दर्ज कराने में आसानी होती है, खासकर इमरजेंसी में। बाद में यह FIR संबंधित क्षेत्राधिकार वाले पुलिस स्टेशन को ट्रांसफर कर दी जाती है, जहां आगे की जांच होती है।

केंद्रीय गृह मंत्री ने साइबर वित्तीय अपराधों की जाँच की दक्षता में सुधार लाने तथा ‘साइबर सुरक्षित भारत’ के विज़न को पूरा करने की दिशा में भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के तहत दिल्ली में एक पायलट परियोजना के रूप में ई-ज़ीरो एफआईआर (e-Zero FIR) पहल की शुरूआत की।

  • ज़ीरो एफआईआर: किसी भी पुलिस स्टेशन में, चाहे उसका क्षेत्राधिकार कुछ भी हो, किसी संज्ञेय अपराध के लिये ज़ीरो एफआईआर दर्ज की जा सकती है तथा जाँच के लिये उसे उचित क्षेत्राधिकार में स्थानांतरित कर दिया जाता है।
    • ई-ज़ीरो एफआईआर, ज़ीरो एफआईआर का इलेक्ट्रॉनिक संस्करण है और यह BNSS की धारा 173(1) और 1(ii) के प्रावधानों के अनुरूप है। 
  • ई-ज़ीरो एफआईआर की मुख्य विशेषताएँ:
    • स्वतः एफआईआर पंजीकरण: राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) या हेल्पलाइन 1930 के माध्यम से दर्ज की गई 10 लाख रुपए से अधिक की साइबर वित्तीय अपराधों की शिकायतें स्वतः रूप से ज़ीरो एफआईआर में परिवर्तित हो जाएँगी।
      • शिकायतकर्त्ता 3 दिनों के भीतर साइबर अपराध पुलिस स्टेशन में जाकर ज़ीरो FIR को नियमित FIR में परिवर्तित कर सकते हैं।
    • एकीकरण: शुरू की गई नई प्रक्रिया में I4C के NCRP सिस्टम, दिल्ली पुलिस के e-FIR सिस्टम और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अपराध तथा अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क एवं सिस्टम (CCTNS) का एकीकरण शामिल है।
  • FIR (प्रथम सूचना रिपोर्ट): FIR किसी संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence)  (पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकती है और मजिस्ट्रेट की मंजूरी के बिना जाँच शुरू कर सकती है) के बारे में पुलिस को दर्ज की जाने वाली पहली औपचारिक शिकायत है।
    • यह आपराधिक न्याय प्रक्रिया आरंभ करती है। 
    • यह  BNSS, 2023 की धारा 173 के तहत विनियमित हैं।

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