लखनऊ में विदेशी साइबर ठगों का पर्दाफाश, करोड़ों की ठगी का खुलासा

70 मोबाइल फोनए 115 एटीएम कार्डए 38 सिम कार्ड के साथ 15 गिरफ्तार

लखनऊ: पीजीआई इलाके में एक बड़े ऑनलाइन गेमिंग ऐप ठगी गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है. पुलिस ने छापेमारी कर 15 लोगों को गिरफ्तार किया है, जो अब तक सैकड़ों लोगों से 25 करोड़ रुपये से अधिक की जालसाजी कर चुके हैं.

इस गिरोह का सरगना विदेश में बैठकर पूरे ऑपरेशन को संचालित कर रहा था. गिरफ्तार किए गए लोगों में बिहार, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के युवा शामिल हैं.

पुलिस टीम को उनके पास से 70 मोबाइल फोन, 115 एटीएम कार्ड, 38 सिम कार्ड और अन्य आपत्तिजनक सामग्री मिली है. डीसीपी क्राइम कमलेश दीक्षित ने बताया कि पुलिस को बुधवार को सूचना मिली थी कि शामिया मेल रोड के टावर-ए में 11वें फ्लोर के कमरा नंबर 1105 में 15 से 20 लोग संदिग्ध गतिविधियों में लिप्त हैं. इस सूचना पर साइबर क्राइम थाना, साइबर क्राइम सेल और पीजीआई पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए छापेमारी की.

पेंट हाउस में चल रहा था ‘ऑफिस’: डीसीपी क्राइम कमलेश दीक्षित ने बताया कि फ्लैट में एक ऊपरी कमरे को ऑफिस बनाया गया था, जिसमें कई कुर्सियां और मेज लगी थीं. छापेमारी के दौरान कई लोग मोबाइल पर अलग-अलग सिम कार्ड के जरिए बात करते हुए मिले. मौके पर कई बैंकों के क्रेडिट और डेबिट कार्ड भी पड़े थे. पुलिस को देखकर सभी ने अपने लैपटॉप बंद कर भागने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस ने मौके से 15 लोगों को हिरासत में ले लिया.

अन्ना रेड्डी ऐप के जरिए ठगी, सरगना विदेश में: पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे ‘अन्ना रेड्डी’ नामक गेमिंग ऐप के जरिए भारत के कई राज्यों में लोगों से मोबाइल पर बातचीत करके मोटा मुनाफा कमाने का लालच देकर पैसे निवेश करवाते थे और फिर उन पैसों को हड़प लेते थे.

गैंग का सरगना विशाल यादव उर्फ गन्नी उर्फ प्रिंस है, जो कर्मचारी रखकर सोशल मीडिया के जरिए ‘अन्ना रेड्डी’ ऐप से लोगों को जुड़वाता था. कर्मचारी फोन कॉल करके ‘टास्क’ देते थे और मोटे मुनाफे का लालच देकर लोगों से अपने अकाउंट में पैसा ट्रांसफर करवाते थे.

इसके बाद उस पैसे को फर्जी अकाउंट में ट्रांसफर करके निकाल लिया जाता था. यदि कोई शिकायत करता था, तो उस अकाउंट को फ्रीज कर दिया जाता था. उस सिम से चल रहे अकाउंट का संचालन भी बंद कर दिया जाता था. यह गैंग समय-समय पर अपना ठिकाना भी बदलता रहता था और ऑनलाइन सट्टा भी खिलवाता था.

दुबई से लखनऊ पहुंचा गिरोह: जालसाजों ने पीजीआई इलाके में एक महीने पहले ही 50 हजार रुपये में एक पेंट हाउस किराए पर लिया था. यहां वे मल्टीनेशनल ऑफिस खोलने की बात कहकर मकान मालिक को गुमराह कर रहे थे. उन्होंने नौकरी के नाम पर लड़कों को काम पर रखा था, हालांकि सभी काम करने वाले लड़कों को ठगी की जानकारी थी.

इन लड़कों का काम के हिसाब से इंसेंटिव तय था. ठगी से जितना पैसा आता था, उसी हिसाब से उन्हें इंसेंटिव मिलता था. यह गैंग पहले श्रीलंका, फिर सिंगापुर और उसके बाद दुबई से सक्रिय था. दुबई में सख्ती बढ़ने के बाद उन्होंने लखनऊ को अपना नया ठिकाना बनाया था और एक महीने पहले ही यहां आए थे.

साइबर पोर्टल की शिकायतों से मिली मदद: साइबर टीम ने मोबाइल फोन, बैंक पासबुक और चेक बुक की साइबर पोर्टल से जांच की, तो पता चला कि मोबाइल पर 69 और पासबुक व चेक बुक पर 157 साइबर ठगी की शिकायतें विभिन्न राज्यों से साइबर पोर्टल पर दर्ज कराई गई थीं. इन शिकायतों और बरामद चीजों की जांच से करोड़ों रुपये के लेनदेन का खुलासा हुआ.

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान: गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान पलिया, लखीमपुर निवासी हरिप्रीत सिंह (23); सिवान, बिहार निवासी अभिषेक कुमार राजभर (22), आशीष कुमार (24), मन्नू कुमार (25), रितेश सिंह, इफ्तेखार अली (25), शुभम सोनी, सोनू अली (19), करन कुमार (22), विकास कुमार (25), संजीव कुमार (26); गोपालगंज, बिहार निवासी रितेश सिंह (21); खामपार, देवरिया निवासी संदीप कुमार (29); खजुरी, भोपाल निवासी मनीष कुमार; और छपरा, बिहार निवासी रवि सिंह (21) के रूप में हुई है.

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