हिंदी किसी भाषा की दुश्मन नहीं, सभी भारतीय भाषाओं की सखी’
“किसी भाषा का विरोध नहीं है : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह

हिंदी किसी भाषा की दुश्मन नहीं, सभी भारतीय भाषाओं की सखी’
“किसी भाषा का विरोध नहीं है : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह
नई दिल्ली : अमित शाह ने गुरुवार को गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले राजभाषा विभाग के 50 साल पूरे होने पर स्वर्ण जयंती समारोह में शिरकत किया. गृह मंत्री ने कहा कि हिंदी देश की सभी भाषाओं की दोस्त है. अमित शाह का बयान ऐसे समय में आया है जब महाराष्ट्र और तमिलनाडु में हिंदी को लेकर राजनीतिक विरोध हो रहा है. अमित शाह ने कहा कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं होती बल्कि देश की पहचान होती है और इसलिए सभी भाषाओं का सम्मान होना चाहिए.
पिछले कुछ दशकों में भाषा का इस्तेमाल भारत को बांटने के साधन के रूप में किया गया. वे इसे तोड़ नहीं पाए, लेकिन प्रयास किए गए. हम सुनिश्चित करेंगे कि हमारी भाषाएं भारत को एकजुट करने का सशक्त माध्यम बनें. मैं पूरे दिल से मानता हूं कि हिन्दी किसी भी भारतीय भाषा की दुश्मन नहीं हो सकती. हिन्दी सभी भारतीय भाषाओं की सखी है. देश में किसी भी भाषा का विरोध नहीं होना चाहिए. हिंदी और अन्य भारतीय भाषाएं मिलकर देश की सांस्कृतिक आत्मगौरव को उसकी अंतिम मंजिल तक पहुंचा सकती हैं.
गृह मंत्री ने यह भी कहा कि सभी लोगों को गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलना चाहिए. जब तक कोई व्यक्ति अपनी भाषा पर गर्व नहीं करता, या अपनी भाषा में बात नहीं करता, तब तक वह गुलामी की मानसिकता से मुक्त नहीं हो सकता. शाह ने कहा, किसी भी भाषा का विरोध नहीं है. किसी भी विदेशी भाषा का विरोध नहीं होना चाहिए, लेकिन अपनी भाषा को गौरव देने की भावना होनी चाहिए. अपनी भाषा में बोलने की इच्छा होनी चाहिए. अपनी भाषा में सोचने की प्रवृत्ति होनी चाहिए. भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं है, बल्कि वह राष्ट्र की आत्मा है.
हिंदी किसी भारतीय भाषा की दुश्मन नहीं- गृहमंत्री
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “मैं पूरे दिल से मानता हूं कि हिंदी किसी भी भारतीय भाषा की दुश्मन नहीं हो सकती है. हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की मित्र है, और हिंदी और भारतीय भाषाएं मिलकर हमारे स्वाभिमान कार्यक्रम को उसके अंतिम लक्ष्य तक पहुंचा सकती हैं उन्होंने कहा कि भारतीय भाषा अनुवाद न केवल भारत सरकार हर राज्य को सहायता करेगा, राज्यों का प्रशासन भारत सरकार का प्रशासन भारतीय भाषाओं के आधार पर ही हो. तल्काल अनुवाद वाले कई सॉफ्टवेयर बनाए जा रहे हैं.
शाह पहले भी भाषा विवाद को लेकर संसद समेत अलग-अलग मंचों पर बोल चुके हैं. पिछले दिनों शाह ने हिंदी समेत ‘भारतीय भाषाओं के भविष्य’ पर कहा था, ‘अपना देश, अपनी संस्कृति, अपना इतिहास और अपने धर्म को समझने के लिए कोई भी विदेशी भाषा पर्याप्त नहीं हो सकती है. अधूरी विदेशी भाषाओं के जरिए संपूर्ण भारत की कल्पना नहीं की जा सकती.
सरकारी कामकाज में भारतीय भाषाओं का हो ज्यादा इस्तेमाल- शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा पिछले कुछ दशकों में भाषा का इस्तेमाल भारत को बांटने के साधन के रूप में किया गया. वे इसे तोड़ नहीं पाए, लेकिन प्रयास खूब किए गए. हम सुनिश्चित करेंगे कि हमारी भाषाएं भारत को एकजुट करने का सशक्त माध्यम बनें. इसके लिए राजभाषा विभाग काम करेगा. मेरा मानना है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में जो नींव रखी जा रही है, उससे 2047 में एक महान भारत का निर्माण होगा और महान भारत के निर्माण की राह पर हम अपनी भारतीय भाषाओं का विकास करेंगे. उन्हें समृद्ध बनाएंगे, उनकी उपयोगिता बढ़ाएंगे. उन्होंने कहा कि “सरकारी कामकाज में भारतीय भाषाओं का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल होना चाहिए, न सिर्फ केंद्र सरकार में बल्कि राज्य सरकार में भी उपयोग होना चाहिए. इसके लिए हम राज्यों से भी संपर्क करेंगे, उन्हें समझाने और राजी करने की कोशिश करेंगे.
भारतीय भाषा का भविष्य उज्जवल
गृहमंत्री शाह ने कहा, “JEE, NEET, CUET, अब 13 भाषाओं में ली जा रही हैं. पहले आप CAPF की कांस्टेबल भर्ती के लिए केवल अंग्रेजी या हिंदी में आवेदन कर सकते थे. हमने इसे लचीला बनाया और 13 भाषाओं में परीक्षा की अनुमति दी और आज मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि 95% उम्मीदवार अपनी मातृभाषा में कांस्टेबल परीक्षा दे रहे हैं. यह बताता है कि आने वाले दिनों में भारतीय भाषाओं का भविष्य कितना उज्ज्वल है.