उत्तराखंड में इंटरस्टेट चेकपोस्ट पर सुरक्षा बढ़ाने की तैयारी

कैनाइन कमांडो करेंगे उत्तराखंड के बॉर्डर की निगहबानी

देहरादून: उत्तराखंड पुलिस अब अपने वफादार सहयोगियों डॉग स्क्वायड की टीम को और मजबूत करने जा रही है. बम हो या ड्रग्स, भूस्खलन हो या आपदा यह साइलेंट वारियर्स हर मोर्चे पर डटे रहते हैं. ऐसे में अब उत्तराखंड पुलिस, डॉग स्क्वॉड जो मॉनसून आने के बाद एसडीआरएफ के साथ तैनात होते हैं, उन्हें अब हाईवे, इंटरस्टेट चेकपोस्ट और सार्वजनिक जगहों पर भी तैनात करने जा रही है.

उत्तराखंड पुलिस अब डॉग स्क्वायड की ताकत को और बढ़ाने जा रही है. बीते सालों में इन डॉग सोल्जर्स ने पुलिस के लिए कई मुश्किल टास्क को आसान बनाया है. नारकोटिक्स से लेकर बम डिटेक्शन, लापता शवों की तलाश से लेकर चेकपोस्ट जांच तक हर जगह ये कैनाइन कमांडो (डॉग स्क्वायड) पूरी मुस्तैदी से डटे रहते हैं.

2024 की केदारनाथ आपदा से लेकर मालदेवता त्रासदी तक इन घटनाओं में मलबे से शवों को खोज निकालने का जिम्मा सबसे पहले इन्हीं स्क्वायड के कंधों पर रहा है. साथ ही बड़े अपराधों में भी इनकी मदद से पुलिस कई अपराधियों को पकड़ती है. अभी उत्तराखंड पुलिस के पास तीन प्रमुख नस्ल जर्मन शेफर्ड, लैब्राडोर रिट्रीवर और बेल्जियम मेलिनोइस के डॉग हैं. इनमें से पहाड़ी इलाकों की जलवायु और ऊबड़-खाबड़ भूगोल को देखते हुए जर्मन शेफर्ड को सबसे मुफीद माना जा रहा है.

वहीं डॉग हैंडलर मुकेश टोलिया का कहना है कि डॉग को बचपन से ही ट्रेनिंग दी जाती है. उसके लिए ट्रेनिंग सेंटर भेजा जाता है. वर्तमान में एसडीआरएफ में 8 सर्चिंग डॉग है. डॉग के बचपन से तय हो जाता है कि हैंडलर कौन रहेगा और बचपन से ही वह ही हैंडलर डॉग के साथ रहता है. हैंडलर की कमान को डॉग समझता है, उसी के अनुसार काम भी करता है. डॉग को अलग-अलग ट्रेनिंग दी जाती है. उन्होंने बताया कि जर्मन शेफर्ड डॉग अन्य डॉग के मुकाबले बेहतर है और उत्तराखंड राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में जर्मन शेफर्ड सबसे अधिक बेहतर रहता है.

अब उत्तराखंड पुलिस इन डॉग स्क्वायड की संख्या और ट्रेनिंग दोनों बढ़ाने जा रही है. आने वाले समय में इन्हें हाईवे, इंटरस्टेट चेकपोस्ट और सार्वजनिक जगहों पर भी तैनात किया जाएगा. ताकि संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी जा सके. साथ ही आपदा ग्रस्त प्रदेश में रेस्क्यू करने वाली एसडीआरएफ में भी इनकी संख्या बढ़ाने के लिए प्रस्ताव भेजा जा रहा है. वहीं कमांडेंट एसडीआरएफ अर्पण यदुवंशी का कहना है कि मॉनसून के दौरान 8 टीमें डॉग स्क्वायड और 16 हैंडलर संवेदनशील स्थानों पर तैनात किए गए हैं.

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