भारत ने की 1.05 लाख करोड़ की बिग डिफेंस डील

सभी सौदे पूरी तरह स्वदेशी कंपनियों के साथ, ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा

नई दिल्ली : भारत की सुरक्षा क्षमता को नई ऊंचाई देने की दिशा में एक ऐतिहासिक फैसला लेते हुए, रक्षा मंत्रालय की डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (DAC) ने गुरुवार को लगभग ₹1.05 लाख करोड़ के रक्षा सौदों को मंजूरी दे दी. यह अब तक की सबसे बड़ी स्वदेशी रक्षा खरीदों में से एक मानी जा रही है. खास बात यह है कि ये सभी 10 प्रमुख प्रोजेक्ट पूरी तरह ‘मेक इन इंडिया’ के तहत देशी कंपनियों से ही पूरे किए जाएंगे.

DAC की बैठक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई, जिसमें इन प्रस्तावों को ‘एक्सेप्टेंस ऑफ नेसेसिटी’ (AoN) के रूप में मंजूरी दी गई. इसका उद्देश्य भारतीय सेना की तकनीकी और रणनीतिक क्षमताओं को उन्नत करना है. मंत्रालय के मुताबिक, इन सौदों में आर्मर्ड रिकवरी व्हीकल्स, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, सरफेस-टू-एयर मिसाइल सिस्टम, और तीनों सेनाओं के लिए एक इंटीग्रेटेड कॉमन इन्वेंट्री मैनेजमेंट सिस्टम जैसे अहम हथियार और उपकरण शामिल हैं.

ये सौदे भारत की थल, वायु और नौसेना तीनों के लिए हैं. इनमें एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम शामिल है जो दुश्मन के संचार को ब्लॉक कर सकता है, और साथ ही ऐसा मिसाइल डिफेंस सिस्टम भी, जो किसी भी हवाई हमले का जवाब देने में सक्षम है. मंत्रालय का कहना है कि इससे न केवल ऑपरेशनल तैयारियां बेहतर होंगी, बल्कि सप्लाई चेन मैनेजमेंट और मिलिट्री मोबिलिटी में भी सुधार आएगा.

यह कदम ऐसे समय में आया है जब सरकार पहले से ही सैन्य आधुनिकीकरण के मिशन में जुटी है. मार्च 2025 में सरकार ने ₹62,700 करोड़ की डील को मंजूरी दी थी, जिसके तहत Hindustan Aeronautics Ltd (HAL) से 156 स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर्स (LCH) ‘प्रचंड’ की खरीद की जाएगी. ये हेलिकॉप्टर्स ऊंचाई वाले दुर्गम इलाकों और सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए हैं.

लाइव मिंट की जून की एक खबर में कहा गया था सेना के लिए लगभग ₹30,000 करोड़ की लागत से तीन रेजिमेंट्स के लिए क्विक रिएक्शन सरफेस-टू-एयर मिसाइल (QR-SAM) सिस्टम खरीदे जा सकते हैं. ये मिसाइल सिस्टम भारत को दुश्मन के हवाई हमलों से बचाने में एक नई शक्ति देंगे.

इन सौदों से न सिर्फ भारत की सैन्य शक्ति बढ़ेगी, बल्कि यह घरेलू डिफेंस इंडस्ट्री को भी बड़ा प्रोत्साहन देगा. सभी प्रोजेक्ट्स स्वदेशी कंपनियों द्वारा पूरे किए जाएंगे, जिससे हजारों नई नौकरियां पैदा होंगी और मध्यम व छोटी कंपनियों को रक्षा निर्माण में भागीदारी का मौका मिलेगा. इससे भारत की विदेशी रक्षा आयात पर निर्भरता घटेगी और आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूती मिलेगी.

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इन योजनाओं को समय पर लागू किया गया, तो यह भारत को न सिर्फ सामरिक दृष्टि से ताकतवर बनाएगा बल्कि यह देश को डिफेंस टेक्नोलॉजी का वैश्विक हब बनने की दिशा में ले जाएगा.

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