उत्तराखंड में ढाई हजार डॉक्टर बिना लाइसेंस के कर रहे प्रेक्टिस
सीएमओ को डॉक्टरों के प्रमाणपत्रों की जांच करने के निर्देश

देहरादून : उत्तराखंड में कुछ डॉक्टर्स अपने लाइसेंस को रिन्यू कराए बिना ही प्रैक्टिस कर रहे हैं. जिससे संबंधित सूचना मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए आदेश जारी कर दिए हैं. जिसके तहत अब प्रदेश के किसी भी चिकित्सक, चाहे वो सरकारी सेवा में हो या निजी क्षेत्र में कार्यरत बिना रजिस्ट्रेशन या नवीनीकरण के प्रैक्टिस नहीं कर सकेगा.
स्वास्थ्य सचिव की ओर से प्रदेश के सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने जिलों में काम कर रहे सभी डॉक्टरों की सूची तैयार करें. जिससे ये पता चल सके कि कोई डॉक्टर भी बिना रजिस्ट्रेशन प्रैक्टिस कर रहा है या नहीं? ऐसे में जिन डॉक्टरों ने अब तक रजिस्ट्रेशन रिन्यू नहीं कराया है उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार ने कहा ये कदम नेशनल मेडिकल कमीशन एक्ट 2019 (पूर्ववर्ती इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट 1956) के प्रावधानों के तहत उठाया गया है. ये अधिनियम देशभर में चिकित्सा सेवा को नियंत्रित करता है. इसके तहत केवल वैध रूप से रजिस्टर्ड चिकित्सक ही प्रैक्टिस कर सकता हैं. स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही तय करने को लेकर गंभीर है.
स्वास्थ्य सचिव आर. राजेश कुमार ने कहा राज्य में ऐसी कई शिकायतें मिली थीं कि कुछ लोग डॉक्टर के नाम पर सेवा दे रहे हैं, जबकि उनके पास वैध डिग्री या रजिस्ट्रेशन नहीं है. ऐसे में ये आदेश न केवल ऐसे लोगों पर लगाम लगाएगा बल्कि जनता के विश्वास को भी मज़बूत करेगा. साथ ही राज्य में बिना रजिस्ट्रेशन और बिना रजिस्ट्रेशन रिन्यू कराए प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टर्स को कार्रवाई के दायरे में लाया जाएगा.
आदेश के जरिए सीएमओ को साफ निर्देश दिए गए हैं कि वे डॉक्टरों की प्रमाणपत्रों की जांच करें. साथ ही निर्देशों की अवहेलना पर संबंधित डॉक्टरों को सेवा से पृथक करने या नोटिस जारी करने को कहा गया है. जिलावार प्रगति रिपोर्ट हर हफ्ते शासन को भेजी जाएगी. स्वास्थ्य सचिव ने कहा राज्य में मरीजों को केवल पंजीकृत और प्रमाणित चिकित्सकों से इलाज मिलेगा. चिकित्सा परिषद की भूमिका और डॉक्टरों की जिम्मेदारी दोनों ही अब और अहम होंगी.