उत्तर प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों के कायाकल्प के लिए 2 हजार करोड़ मंजूर
500 से अधिक छात्र संख्या वाले परिषदीय स्कूल बनेंगे ‘आदर्श स्कूल’ दो हजार

लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के संपूर्ण कायाकल्प के लिए दो हजार करोड़ के बजट को मंजूर कर दिया है. वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए तैयार की गई यह योजना बेसिक शिक्षा विभाग की अब तक की सबसे बड़ी निवेश योजना मानी जा रही है.
उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने बताया कि हम शिक्षा को सिर्फ विद्यालय उपस्थिति तक सीमित न रखते हुए उसे संरचनात्मक, तकनीकी और बौद्धिक रूप से समृद्ध बनाने के संकल्प के साथ कार्य कर रहे हैं. हमारा प्रयास है कि आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश को देश के शिक्षा के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में स्थापित करें. हम हर बच्चे तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुंचाने के लिए नवाचार, पारदर्शिता और समर्पण के साथ कार्य कर रहे हैं.
शिक्षा के बुनियादी ढांचे में निवेश: शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत प्रदेशभर में संचालित परिषदीय विद्यालयों में भवन निर्माण, संसाधन सुदृढ़ीकरण, पेयजल, शौचालय, स्मार्ट क्लास, कंप्यूटर लैब, एमडीएम शेड, रैंप और चारदीवारी जैसी सुविधाएं विकसित की जाएंगी. सरकार का विजन प्राथमिक शिक्षा, आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश के अनुरूप ही इस कार्य योजना को गति देना है.
शिक्षा में सुधार केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं रहेगा: शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने बताया कि अब शिक्षा में सुधार केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसका फोकस प्रभावी उपयोग और क्रियाशीलता पर भी होगा. प्रायः यह देखा गया है कि कम नामांकन वाले विद्यालयों में संसाधनों के बावजूद अपेक्षित परिणाम नहीं मिलते, जबकि अधिक छात्रसंख्या वाले विद्यालयों में संसाधनों की सीमितता के बावजूद बेहतर उपयोग होता है. इसी कड़ी में वर्ष 2025-26 में 500 या अधिक छात्रसंख्या वाले विद्यालयों को ‘आदर्श विद्यालय’ के रूप में पुरस्कार स्वरूप उच्चीकृत किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि इन विद्यालयों को स्मार्ट क्लास, लाइब्रेरी रूम, मल्टीपरपज हॉल, क्लब रूम, कंप्यूटर और ICT लैब, ‘लर्निंग बाय डुइंग’ स्पेस और एमडीएम शेड सहित अन्य सुविधाएं मिलेंगी. स्कूल शिक्षा महानिदेशक कंचन वर्मा ने बताया कि इस रणनीति से प्रदेश के स्कूलों में छात्र नामांकन में वृद्धि, पियर लर्निंग का विस्तार, सक्रिय सहभागिता और अनुभवात्मक अधिगम को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही शिक्षकों के लिए भी समय सारणी आधारित कक्षा आवंटन, कार्य विभाजन और सह-शिक्षण की व्यवस्थाएं और अधिक प्रभावी होंगी.