केदारनाथ धाम में खच्चर से सामान ढोने वाला लड़का अब IIT में पढ़ेगा
केदारघाटी के अतुल की IIT वाली कहानी आपको रुला देगी

रुद्रप्रयाग : पढ़ाई का जज़्बा हो तो रास्ता खुद बन जाता है… और ये बात सच कर दिखाई है उत्तराखंड की केदारघाटी के युवा अतुल ने. जिन हालातों में बच्चे स्कूल जाना छोड़ देते हैं, उन हालातों में अतुल ने मजदूरी के साथ पढ़ाई की और देश के नामी संस्थानों में शामिल IIT मद्रास तक का सफर तय कर लिया. उनकी ये कहानी सिर्फ इंस्पिरेशनल ही नहीं, बल्कि साबित करती है कि मेहनत और लगन के आगे हालात भी हार मान लेते हैं.
- संघर्षों से भरी है अतुल की कहानी
अतुल उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग ज़िले की केदारघाटी के गांव बीरो देवली के रहने वाले हैं. उनके पिता ओमप्रकाश किसान हैं. चार भाई-बहनों में अतुल दूसरे नंबर पर हैं. घर की आर्थिक हालत बेहद कमजोर थी. आठवीं पास करने के बाद जब अतुल ने देखा कि पिता अकेले सब नहीं संभाल पा रहे, तो उन्होंने खुद ही कमाने की ठानी. महज 14 साल की उम्र में उन्होंने केदारनाथ यात्रा पर घोड़े-खच्चर चलाने का काम शुरू कर दिया. - अतुल सुबह-सुबह यात्रियों को लेकर केदारनाथ तक पहुंचाते और फिर वापस लौटकर पढ़ाई करते. दिनभर की मेहनत के बाद जो भी कमाई होती, उसी से किताबें खरीदते और अपने सपने को जिंदा रखते. लेकिन, उनका ये संघर्ष खाली नहीं गया.
- अतुल ने साल 2020 में दसवीं की परीक्षा दी और पूरे उत्तराखंड में 16वीं रैंक हासिल की. इसके बाद 2022 में इंटरमीडिएट में भी उन्होंने 21वीं रैंक पाई. फिर उन्होंने श्रीनगर केंद्रीय विश्वविद्यालय से बीएससी की पढ़ाई की और अब साल 2025 में उनका चयन सीधे IIT मद्रास में हो गया है, जहां वह एमएससी मैथ्स की पढ़ाई करेंगे.
- अतुल का परिवार भले ही आर्थिक रूप से कमजोर रहा हो, लेकिन सोच से बहुत अमीर है. माता-पिता ने कभी बच्चों की पढ़ाई में रुकावट नहीं आने दी. अतुल की सफलता के पीछे न सिर्फ उनकी मेहनत बल्कि उनके परिवार का त्याग भी अहम रहा है.
- अतुल उन लाखों बच्चों के लिए मिसाल है जो मुश्किल हालातों में अपने सपनों को छोड़ देते हैं. उन्होंने, साबित कर दिया कि अगर इरादे मजबूत हों, तो पहाड़ों जैसी मुश्किलें भी रास्ता नहीं रोक सकतीं.