पर्यटन नगरी लैंसडौन को नई पहचान देगी बुरांश वाटिका

ट्यूलिप गार्डन की तर्ज पर बुरांश वाटिका विकसित कर रही सेना

लैंसडौन (देहरादून) : इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार से सम्मानित गढ़वाल राइफल्स रेजीमेंट सेंटर पर्यटन नगरी लैंसडौन में जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध ट्यूलिप गार्डन की तर्ज पर बुरांश वाटिका विकसित कर रहा है। इसके तहत प्रथम चरण में सेना की ओर से लगभग 6,000 फीट की ऊंचाई पर रेजीमेंटल मंदिर के निकट 1.5 एकड़ भूमि पर बुरांश के 250 पौधे रोपे जा चुके हैं।

अगले चरण में यह संख्या बढ़ाई जाएगी, इसके लिए दो-तीन स्थानों पर भूमि चयनित करने की प्रक्रिया चल रही है। बुरांश वाटिका को आकार देने की जिम्मेदारी रेजीमेंट की विभिन्न कंपनियों को सौंपी गई है।

सीमा की रक्षा के साथ गढ़वाल राइफल्स रेजीमेंट सेंटर पर्यावरण के क्षेत्र में भी अनुकरणीय कार्य कर रहा है। वर्ष 2006 में रेजीमेंट को पर्यावरण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार मिल चुका है।

इससे पूर्व, नगर में तीन चेकडैम बनाकर जल संवर्द्धन की दिशा में भी सेना ने महत्वपूर्ण कार्य किया। अब सेना ने गढ़वाल रेजीमेंट के ब्रिगेडियर विनोद सिंह नेगी के नेतृत्व में राज्य वृक्ष बुरांश के संरक्षण की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।

सेना की ओर से एएनआर (एसीटेट नेचुरल रिजनरेशन) तकनीक का परीक्षण करवाकर बुरांश के पौधों का रोपण किया गया। साथ ही जलसंग्रह के लिए ट्रेंचेज भी बनाए जा रहे हैं।

विदित हो कि बैसाखी तक पूरे यौवन में आने वाले बुरांश की 98 भारतीय प्रजाति हिमालय क्षेत्र में पाई जाती हैं। इनमें से 10.2 प्रतिशत गढ़वाल हिमालय में पाई जाती हैं।

गढ़वाल रेजीमेंट ने बुरांश के संरक्षण की पहल ऐसे समय में की है, जब पश्चिमी हिमालय में प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले बुरांश के अस्तित्व पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। तेजी से हो रहे दोहन और प्राकृतिक पुनरोत्पादन न होने से बुरांश के पेड़ों की संख्या दिनोंदिन घटती जा रही है।

Related Articles

Back to top button