लंदन के वैज्ञानिकों ने पहली बार लैब में उगाए इंसानी दांत

जबड़े में भी उगाने की तैयारी, फिलिंग की ज़रूरत नहीं!

लंदन : वैज्ञानिकों ने दुनिया में पहली बार इंसानी दांतों को लैब में उगाया है. जिसके बाद अब यह कयास लगाया जा रहा है कि आने वाले सालों में डेंटल केयर में बहुत बड़ी सफलता डॉक्टरों को मिल सकती है, जिसका सबसे बड़ा फायदा दांतों से परेशान लोगों को मिल सकता है. बीबीसी में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, लंदन के किंग्स कॉलेज के वैज्ञानिकों ने पहली बार लैब में इंसानी दांत उगाने में कामयाबी हासिल की है.

अब दांतों की फिलिंग्स या इम्प्लांट्स की जरूरत नहीं
इसका मतलब यह है कि आने वाले दिनों में लोग अपने खोए हुए दांत दोबारा उगा सकेंगे, यानी अब फिलिंग्स या इम्प्लांट्स की जरूरत नहीं पड़ेगी. जो ज्यादा प्राकृतिक और शरीर के साथ बेहतर तरीके से काम करेगा. किंग्स कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने इंपीरियल कॉलेज लंदन के सहयोग से एक बायोमटेरियल विकसित किया है जो दांतों के विकास के लिए आवश्यक वातावरण की नकल करता है.

कोशिकाएं खुद बनाएंगी दांत
इसकी मदद से कोशिकाएं आपस में बात कर पाती हैं और दांत बनाना शुरू करती हैं. ये लैब में बने दांत ना सिर्फ जबड़े में अच्छे से फिट हो सकते हैं, बल्कि प्राकृतिक दांतों की तरह खुद को ठीक भी कर सकते हैं. इनमें इम्प्लांट्स की तरह रिजेक्शन का खतरा भी नहीं है. किंग्स कॉलेज लंदन में रीजेनरेटिव डेंटिस्ट्री की निदेशक डॉ. एना एंजेलोवा-वोलपोनी ने इस खोज की सराहना करते हुए कहा कि यह रिसर्च दांतों के इलाज में क्रांति ला सकता है. उनका कहना है “लैब में दांत उगाकर हमें कई तरह के अनुभव हुए. ये दांत प्राकृतिक दांतों की तरह काम करेंगे, ज्यादा मजबूत और टिकाऊ होंगे.”

जबड़े में बने दांतों के फायदे?
अभी तक दांत खराब होने पर फिलिंग्स या इम्प्लांट्स का सहारा लिया जाता है, लेकिन इससे दांत कमजोर होने की संभावना अधिक रहती है. इसमें दोबारा सड़न भी हो सकती है. इम्प्लांट्स के लिए सर्जरी चाहिए और वो हमेशा प्राकृतिक दांतों की तरह काम नहीं करते. लेकिन लैब में बने दांत, जो मरीज की अपनी कोशिकाओं से बनेंगे, वो जबड़े में पूरी तरह घुलमिल जाएंगे और प्राकृतिक दांतों की तरह खुद को ठीक कर पाएंगे.

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