भारत गंभीर कैंसर के सबसे ज्यादा मामलों वाला देश बना

इलाज के बाद भी लंबे समय तक जी पाना कठिन

जर्नल ऑफ कैंसर पॉलिसी में प्रकाशित एक शोध पत्र में खुलासा :-

कैंसर वैश्विक स्तर पर गंभीर स्वास्थ्य जोखिम बना हुआ है, ये मृत्यु का दूसरा प्रमुख कारण भी है। भारतीय आबादी में भी कैंसर के मामले साल-दर-साल बढ़ते जा रहे हैं। आधुनिक चिकित्सा और मेडिकल क्षेत्र में नवाचार के चलते एक दशक पहले की तुलना में अब कैंसर का इलाज आसान जरूर हो गया है, पर अब भी कई चुनौतियां हैं जो विशेषज्ञों के लिए लगातार चिंता का कारण बनी हुई हैं।

मेडिकल रिपोर्ट्स से पता चलता है कि भारत में जिन कैंसर के मामले सबसे ज्यादा रिपोर्ट किए जाते रहे हैं उनमें फेफड़े, पेट, स्तन और मुंह के कैंसर प्रमुख हैं। मुंह का कैंसर (ओरल कैंसर) फिलहाल भारत के लिए बड़ा खतरा बना हुआ है। इतना ही नहीं, भारत दुनियाभर में ओरल कैंसर के सबसे ज्यादा मामलों वाला देश है।

हर साल यहां अनुमानित 1.43 लाख नए मामले सामने आते हैं। तंबाकू-धूम्रपान को इसके लिए प्रमुख कारण माना जाता रहा है, चिंताजनक बात ये भी है कि ओरल कैंसर सिर्फ पुरुषों में ही नहीं महिलाओं में भी बढ़ता हुआ देखा जा रहा है।

तंबाकू 50% से अधिक मामलों के लिए जिम्मेदार
जर्नल ऑफ कैंसर पॉलिसी में प्रकाशित एक शोध पत्र में बताया गया है, देश में ओरल कैंसर के 50% से अधिक मामलों के लिए तंबाकू-धूम्रपान की आदत प्रमुख कारण है। भारतीय उपमहाद्वीप में ओरल कैंसर एक बड़ी समस्या है, जहां यह देश में शीर्ष तीन प्रकार के कैंसर में शुमार है। भारत में ओरल कैंसर की आयु-समायोजित दर अधिक है, यानी प्रति एक लाख जनसंख्या पर 20 लोग और देश में सभी कैंसर का 30% से अधिक हिस्सा है।

इलाज के बाद भी पांच साल जी पाना कठिन
मेडिकल रिपोर्ट्स से पता चलता है कि मुंह का कैंसर एक गंभीर खतरा है, इससे मृत्युदर भी अधिक है। चिंताजनक बात ये भी है कि इलाज के बाद भी 63% लोग पांच साल तक नहीं जी पाते हैं। आईसीएमआर ने 10 राज्यों में 14 हजार से ज्यादा मरीजों पर अध्ययन किया, इसमें पाया गया कि ग्रामीण इलाकों में इस प्रकार के कैंसर के जोखिम सबसे ज्यादा है।

जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन की रिपोर्ट में शोधकर्ताओं ने साफ तौर पर कहा है कि प्रारंभिक पहचान और समय पर इलाज न मिलने के कारण कैंसर का खतरा काफी बढ़ जाता है। ज्यादातर लोगों में कैंसर का पता ही तब चल पाता है जब ये चौथे स्टेज तक पहुंच चुका होता है। यहां से रोगी का इलाज करना और जान बचाना काफी मुश्किल हो जाता है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
आईसीएमआर के राष्ट्रीय रोग सूचना विज्ञान एवं अनुसंधान केंद्र के प्रमुख डॉ. प्रशांत माथुर बताते हैं कि शहरों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों के मरीज इलाज के बाद भी काफी कम जीवित रह पाते हैं। यह स्थिति कैंसर देखभाल और सेवाओं की गुणवत्ता में असमानताओं का संकेत दे रही है।

भारत में कुल कैंसर पीड़ितों में मुंह के कैंसर के 30 फीसदी मरीज शामिल हैं। कम उम्र से ही गुटखा, तंबाकू, सिगरेट की आदत के कारण इस कैंसर के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी जा रही है।

इन सावधानियों पर भी ध्यान देते रहना जरूरी
अध्ययनकर्ताओं ने कहा, तंबाकू का किसी भी रूप में इस्तेमाल ओरल कैंसर की प्रमुख वजह है आईसीएमआर विशेषज्ञों ने कहा, धूम्रपान और शराब के सेवन से बचने के साथ साथ लोगों को अपने होठों को भी धूप से बचाना चाहिए, मुंह की स्वच्छता बनाए रखनी चाहिए। ये भी उपाय ओरल कैंसर के खतरे को कम करने में आपके लिए मददगार हो सकते हैं।

अगर मुंह में किसी भी तरह के छाले या जख्म की दिक्कत बनी हुई है और ये ठीक नहीं हो रही है तो डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए। अगर समय रहते इस समस्या का पता चल जाए और इसका इलाज हो जाए तो जान बचने की संभावना काफी बढ़ जाती है।

(स्रोत और संदर्भ – Status of flavored smokeless tobacco regulation in India) Publisdhe with thanks.

Related Articles

Back to top button