अडानी के पीछे हिंडनबर्ग को किसने लगाया?
मोसाद ने हिंडनबर्ग साजिश में राहुल गांधी का लिया नाम!

बड़ा खुलासा – इजराइल की खुफिया एजेंसी ने खोला भारत के विपक्षी दल के नेताओं का राज
नई दिल्ली. भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी के उद्योगों को करीब ढाई लाख करोड़ का नुकसान पहुंचाने वाली हिंडनबर्ग रिपोर्ट एक बड़ी साजिश और मिलभगत का हिस्सा थी. इस साजिश में एक बड़े नेता का नाम भी सामने आया है. यह खुलासा किया है इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने. इजराइली खुफिया एजेंसी ने एक गुप्त ऑपरेशन के जरिये यह खुलासा किया है. मोसाद ने साफ कहा है कि यह पूरी साजिश अडानी और पीएम मोदी को कमजोर करने के लिए की गई थी.
स्पुतनिक इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मोसाद ने भारतीय ओवरसीज कांग्रेस (IOC) के प्रमुख और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के करीबी सहयोगी सैम पित्रोदा के घर के सर्वरों को निशाना बनाकर गुप्त ऑपरेशन किया था. मोसाद ने बताया कि भारत की विपक्षी पार्टी और हिंडनबर्ग रिसर्च के बीच रिश्ते के सबूत मिले हैं. हिंडनबर्ग ने साल 2023 में अडानी ग्रुप पर हेरफेर और धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे. हालांकि, अब हिंडनबर्ग रिसर्च की गतिविधियां बंद हो चुकी हैं, लेकिन उसके लगाए आरोपों की वजह से अडानी समूह के शेयरों में बड़ी गिरावट आई थी.
मोसाद ने किसका लिया नाम
इजराइली खुफिया एजेंसी ने अपने ऑपरेशन में एन्क्रिप्टेड चैटरूम और अघोषित बैकचैनल कम्यूनिकेशंस को उजागर किया. इस जांच में कांग्रेस नेता राहुल गांधी और हिन्डनबर्ग रिसर्च टीम के बीच संबंध स्पष्ट रूप से सामने आए हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इसका मकसद गौतम अडानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कमजोर करना था. इस रिपोर्ट से शेयर बाजार को 150 अरब डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ था.
इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने अडानी और हिंडनबर्ग मामले में तब हस्तक्षेप किया, जब अडानी की कंपनी अडानी पोर्ट एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन ने इजराइल के सबसे बड़े पोर्ट हायफा का कंट्रोल 1.2 अरब डॉलर में लेने के लिए सौदा किया. हायफा से डील के मौके पर इजराइल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू और गौतम अडानी भी मौजूद थे. इस सौदे के तत्काल बाद हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर आरोप लगाए थे. इसके बाद पीएम नेतन्याहू ने मोसाद को मामले की तहकीकात करने को कहा था.
मोसाद ने शुरू किया ऑपरेशन जेपलिन
नेतन्याहू ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट को भारत को कमजोर करने की साजिश मानते हुए अपनी खुफिया एजेंसी को तत्काल काम शुरू करने का निर्देश दिया. इसके बाद मोसाद ने ‘ऑपरेशन जेपलिन’ शुरू किया, जिसके तहत एजेंसी ने हिंडनबर्ग के ग्लोबल नेटवर्क की तहकीकात शुरू कर दी. मोसाद ने हिंडनबर्ग के न्यूयॉर्क स्थित कार्यालय और कंपनी के फाउंडर नाथन एंडरसन पर नजर रखनी शुरू कर दी. खुफिया एजेंसी ने पूरे मामले का खुलासा कर दिया और इसमें कई एक्टिविस्ट, वकील, पत्रकार, हेड फंड और जॉर्ज सोरेस की मिलीभगत का भी खुलासा हुआ.