संभल जामा मस्जिद हिंसा मामले में सपा सांसद समेत 22 आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट

सांसद पर हिंसा भड़काने और जफर अली पर गलत साक्ष्य प्रस्तुत करने का आरोप

संभल : जामा मस्जिद के सर्वे के विरोध में 24 नवंबर 2024 को हुई हिंसा में सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क और जामा मस्जिद के सदर जफर अली एडवोकेट सहित 22 आरोपितों के खिलाफ बुधवार को चार्जशीट दाखिल कर दी गई है। जबकि, विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल को क्लीन चिट दे दी गई है। करीब 1100 पेज की चार्जशीट में सांसद को हिंसा के लिए लोगों को भड़काने और जफर अली को भड़काने के साथ पुलिस के समत्क्ष गलत साक्ष्य प्रस्तुत करने का आरोपित बनाया गया है।

हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी। 30 अधिकारी व पुलिसकर्मी घायल हुए थे। हिंसा में सात प्राथमिकी पुलिस की ओर से दर्ज कराई गईं। चार मृतकों के स्वजन और एक प्राथमिकी घायल के स्वजन ने दर्ज कराई थी। सभी 12 मुकदमों में 10 में पहले चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है।

पुलिस की ओर से दर्ज एक मुकदमे में सांसद और विधायक के बेटे को नामजद और 700-800 अज्ञात लोगों को शामिल किया गया था। मस्जिद कमेटी के सदर को जांच के दौरान नाम सामने आने पर गिरफ्तार किया गया था। सांसद गिरफ्तारी को लेकर हाई कोर्ट के स्टे पर हैं। उनसे पुलिस ने आठ अप्रैल को चार घंटे पूछताछ की थी।

इस चार्जशीट के अनुसार सपा सांसद बर्क पर हिंसा से पहले भड़काऊ भाषण देकर भीड़ को उकसाने का गंभीर आरोप है. इस हिंसा में चार लोगों की मौत हुई थी, जबकि 23 पुलिसकर्मियों सहित कई लोग घायल हुए थे. बता दें कि पुलिस के अनुसार जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा तब भड़की जब कोर्ट के आदेश पर एडवोकेट कमिश्नर की टीम सर्वेक्षण के लिए पहुंची. विरोध कर रही भीड़ ने पथराव, आगजनी और फायरिंग की. जिसमें सरकारी संपत्ति को काफी नुकसान हुआ.

इस हिंसा के दौरान इतनी आगजनी हुई थी कि इसमें कई पुलिस वाहन भी जलकर खाक हुए थे. जहां पुलिस ने हिंसा का मुख्य साजिशकर्ता सपा सांसद को बताया था वहीं सपा सांसद बर्क ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज किया है. सपा सांसद ने दावा किया था कि वह इस घटना के दौरान संभल में नहीं थे.

संभल हिंसा मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सपा सांसद की गिरफ्तारी पर रोक लगा रखी है, लेकिन जांच में सहयोग का निर्देश दिया है. इससे पहले संभल हिंसा मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी ने जामा मस्जिद सदर के एडवोकेट जफर अली को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था. इतना ही नहीं उनकी जमानत याचिका पर चंदौसी न्यायालय में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उनकी बेल याचिका को निरस्त कर दिया था.

 

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