ड्रोन वॉर से निपटने के लिए 2000 करोड़ की मंजूरी
चीन और पाकिस्तान का बढ़ता खतरा

नई दिल्ली : भारत अब तेजी से अपनी ड्रोन क्षमताओं को मजबूत कर रहा है, ताकि चीन और पाकिस्तान से बढ़ते खतरे का मजबूती से मुकाबला किया जा सके. रक्षा मंत्रालय ने इस दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए 2000 करोड़ रुपए के आपातकालीन खरीद के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी है, ताकि भारतीय सेना को अत्याधुनिक तकनीकों से लैस किया जा सके.
चीन अपने ड्रोन प्रोग्राम को तेज़ी से डेवलप कर रहा है. जानकारी के मुताबिक उसके पास लगभग 10 लाख ड्रोन हो सकते हैं, जो उसकी सीमाई रणनीति में शामिल हो सकते हैं. वहीं, पाकिस्तान को चीन और तुर्की से मिलकर 50000 से ज्यादा ड्रोन मिलने की खबर है. इनमें से कई ड्रोन का इनमें से कई ड्रोन का उपयोग निगरानी और संभावित हमलों के लिए किया जा सकता है.
भारत अब अपनी ड्रोन शक्ति को उस मुकाम पर ले जा रहा है, जहां से चीन, पाकिस्तान और तुर्की के लिए सीधी चुनौती शुरू हो चुकी है। रक्षा मंत्रालय ने 2000 करोड़ रुपए की आपातकालीन खरीद को मंजूरी दे दी है। इसका मतलब कि भारतीय सेना को अगले स्तर की टेक्नोलॉजी से लैस करना है। दरअसल, रक्षा मंत्रालय की तरफ से ये मंजूरी एक आपातकालीन खरीद के तौर पर दी गई है। इसका मतलब है कि खतरा सिर पर है और सेना को तुंरत तैयार किया जा रहा है। ये फंड ऐसे ड्रोन्स के लिए जारी किया गया है जो भारत की सीमा सुरक्षा को न केवल मजबूत बनाएंगे बल्कि दुश्मन की हरकतों पर पल-पल की नजर भी रखेंगे और जरूरत पड़ने पर तुरंत हमला कर सकेंगे।
रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि 1,981.90 करोड़ रुपये की राशि के ये अनुबंध भारतीय सेना के लिए 2,000 करोड़ रुपये के कुल स्वीकृत परिव्यय के मुकाबले अंतिम रूप दिए गए हैं। आपातकालीन खरीद योजना के तहत फास्ट-ट्रैक प्रक्रियाओं के माध्यम से निष्पादित, उपकरण और हथियारों का उद्देश्य आतंकवाद विरोधी वातावरण में तैनात सैनिकों के लिए स्थितिजन्य जागरूकता, मारक क्षमता, गतिशीलता और सुरक्षा को बढ़ाना है।
मंत्रालय ने कहा कि तेजी से क्षमता वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए अधिग्रहण को संकुचित समयसीमा के भीतर पूरा किया गया था। ये खरीद भारतीय सेना को उभरती सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए मिशन-महत्वपूर्ण और पूरी तरह से स्वदेशी प्रणालियों से लैस करेगी। सूत्रों ने कहा कि इस तरह की और खरीद हो सकती है क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस्तेमाल की गई सूची को फिर से भरने के लिए बलों को करीब 40,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए थे।