पूर्वांचल के सबसे बड़े रैन बसेरा का सीएम योगी ने किया शिलान्यास
कहा- मरीज के अटेंडेंट को मिलेगा आश्रय और सस्ते कैंटीन की सुविधा

गोरखपुर: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को गोरखपुर में कहा कि एक चिकित्सक की सबसे बड़ी पहचान उसकी संवेदना होती है. यदि किसी डॉक्टर के मन में संवेदना नहीं है तो वो डॉक्टर कहलाने का अधिकारी है या नहीं, इस पर विचार होना चाहिए. मुख्यमंत्री ने साथ ही डॉक्टरों को ये नसीहत भी दी की वे बेवजह मरीजों को हायर सेंटर रेफर करने की प्रवृत्ति से बचें और मरीज को क्रिटिकल केयर उपलब्ध कराने में रिस्क लेने की आदत डालें.
सीएम योगी ने ये बातें गोरखपुर एम्स परिसर में रैन बसेरे का भूमि पूजन-शिलान्यास करने के बाद उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कही. 44.34 करोड़ की लागत से बनने वाला ये विश्राम सदन पूर्वी उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा विश्राम सदन होगा. इसका निर्माण पावरग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के सीएसआर निधि से कराया जा रहा.
शिलान्यास समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई भी चिकित्सा संस्थान डॉक्टर के व्यवहार के माध्यम से संवेदना का केंद्र भी होता है. संवेदना के इस केंद्र में अगर एक मरीज भर्ती होने आता है तो उसके साथ कम से कम 3 या 4 अटेंडेंट होते हैं. पूर्वी उत्तर प्रदेश में तो कई बार अटेंडेंट की संख्या 10 तक हो जाती है. ऐसे में मरीज के साथ आने वाले अटेंडेंट को आश्रय की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि 500 बेड के विश्राम सदन के शिलान्यास के साथ ही गोरखपुर एम्स को एक नई उपलब्धि प्राप्त हुई है.
सीएम योगी ने कहा कि एम्स गोरखपुर का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2016 में किया था. 2019 में एम्स गोरखपुर का पहला बैच एडमिशन लिया था और 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस एम्स का लोकार्पण किया था. 2016 में जो बीज एम्स के रूप में गोरखपुर में रोपा गया था, आज वह एक वटवृक्ष बनकर हजारों पीड़ितों को आरोग्यता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, एक नया जीवनदान देने का केंद्र बन गया है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में एम्स गोरखपुर की ऑक्यूपेंसी 75 से 80 फीसदी है. आईसीयू, क्रिटिकल केयर और ट्रॉमा सेंटर में भर्ती होने वाले मरीज के परिजन उनके साथ नहीं रह सकते. उन्हें बाहर ही रहना पड़ता है. इस कैंपस में कम से कम 1200 लोग ऐसे होंगे जिनको बाहर रहना पड़ता है. उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति खुले में गर्मी, सर्दी या बारिश झेलने को मजबूर हो तो ये अमानवीय लगता है. विश्राम सदन के रूप में हम ऐसी व्यवस्था बनाएं जहां पर अटेंडेंट को मिनिमम यूजर चार्ज पर रहने और सस्ते कैंटीन की सुविधा हो.
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 20 साल पहले इंसेफेलाइटिस के पीक समय में शुरू किए गए तीमारदारों के भोजन के लिए रियायती मॉडल का भी उल्लेख किया. सीएम योगी ने कहा कि एक समय बीआरडी मेडिकल कॉलेज इंसेफेलाइटिस हॉटस्पॉट था. वहां पर समूचे पूर्वी उत्तर प्रदेश के पेशेंट आते थे. वहां पर बड़ी अव्यवस्था देखने को मिलती थी. लोगों के पास खाने के लिए भोजन नहीं होता था. उस समय हम लोगों ने एक स्वयंसेवी संस्था से मिलकर व्यवस्था कराई थी. आज भी पेशेंट के अटेंडेंट को बीआरडी मेडिकल कॉलेज और गुरु गोरखनाथ चिकित्सालय में दस रुपये में भरपेट दाल, चावल, सब्जी, रोटी की सुविधा आज भी प्राप्त हो रही है.