पीजीआई के डॉक्टरों ने तलाशा फैटी लिवर से बचाने वाला हार्मोन

डीहाइड्रोएपिएंड्रोस्टेरोन हर्मोन का स्तर बढ़ाने से फैटी लिवर का जोखिम कम होगा -मॉलिक्यूलर एंड

लखनऊ : संजय गांधी पीजीआई के डॉक्टरों ने फैटी लिवर से बचाने वाले हार्मोन की पहचान की है। इस हार्मोन से नॉन-अल्कोहलिक स्टीटो हेपेटाइटिस (एनएएसएच) के स्तर में कमी आती है। इसे मॉलेक्यूलर एंड सेल्युलर एंडोक्राइनोलॉजी में स्थान मिला है। अध्ययन में पीजीआई के साथ ही इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च का भी सहयोग रहा।

डॉ. रोहित ए. सिन्हा और उनकी प्रयोगशाला के सदस्य डॉ. सना रजा, प्रतिमा गुप्ता अर्चना तिवारी, संगम रजक, अंबुज शाही और अभिषेक यादव ने यह अध्ययन किया है। डॉ. रोहित ए. सिन्हा ने बताया कि डीहाइड्रोएपिएंड्रोस्टेरोन नाम का हार्मोन प्राकृतिक हार्मोन इस बीमारी से बचा सकता है। मोटापे, मधुमेह और निष्क्रिय जीवनशैली के कारण फैटी लिवर देश में आम होता जा रहा है। इसकी वजह से हेपेटाइटिस तथा अन्य बीमारियां हो रहीं हैं।

अमेरिका से मंगाईं मानव कोशिका
इस अध्ययन के लिए मानव कोशिकाएं अमेरिका से मंगाई गईं। इसमें पहले मानव कोशिकाओं के साथ ही चूहों को विभिन्न वनस्पतियों के इंजेक्शन देकर उनका लिवर फैटी बनाया गया। उसके बाद ड्रॉप के माध्यम से डीहाइड्रोएपिएंड्रोस्टेरोन नाम का हार्मोन प्राकृतिक हार्मोन पहुंचाया गया। इसमें देखा गया कि महज एक ही दिन में फैटी लिवर का स्तर काफी कम हो गया।

सेक्स हार्मोन के उत्पादन में है अहम
डीहाइड्रोएपिएंड्रोस्टेरोन या डीएचईए पुरुष और महिला सेक्स हार्मोन के उत्पादन में अहम है। इसका इस्तेमाल एनएएसएच का स्तर कम करने में किया जा सकता है। डीहाइड्रोएपिएंड्रोस्टेरोन मुख्य रूप से एड्रेनल ग्रंथियों से बना एक स्टेरॉयड हार्मोन है। यह टेस्टोस्टेरोन और एस्ट्रोजन जैसे अन्य सेक्स हार्मोन को बढ़ाता है।

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