वाराणसी में पुलिस ने तीन साइबर ठगों को गिरफ्तार किया

सेवानिवृत्त सहायक रजिस्ट्रार से 49.4 लाख रुपये की ठगी, सीबीआई अफसर का डर दिखाया

वाराणसी : पटना हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त असिस्टेंट रजिस्ट्रार सुभाष चंद्र को डिजिटल अरेस्ट करके 49.4 लाख रुपये की ठगी करने वाले तीन साइबरों ठगों को साइबर क्राइम थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उनके पास से एक लाख कीमत के तीन फोन बरामद हुए हैं।

पुलिस उनसे पूछताछ के आधार पर उनके साथियों की तलाश कर रही है। एडीसीपी क्राइम श्रुति श्रीवास्तव, एसीपी विजय प्रताप सिंह ने बताया कि महमूरगंज के कृष्णा अपार्टमेंट में रहने वाले सुभाष चंद्र के मोबाइल पर छह मई को काल आई। काल करने वाले ने खुद को ट्राई का कर्मचारी बताते हुए मोबाइल सिम डिएक्टिव होने की जानकारी दी। उसने खुद को साइबर क्राइम अधिकारी राकेश कुमार बताया।

इसी दौरान सीबीआइ आफिसर राजीव रंजन कुमार बनकर एक व्यक्ति ने बात की। सुबह सवा नौ बजे से दोपहर दो बजे तक बात करता रहा। सुभाष को बताया कि नरेश गोयल मनी लांड्रिंग केस में उसका नाम आ रहा है। उसके नाम से एक सिम मुंबई से खरीदा गया है जिसका दुरुपयोग मनी लांड्रिंग के लिए किया जा रहा है। नरेश गोयल ने उसे कमीशन दिया है।

इस दौरान साइबर ठग सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और वर्तमान मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई बनकर गिरफ्तार करने का डर दिखाया। पटना के बैंक खाते में रखे रुपयों को वाराणसी के बैंक खाते में ट्रांसफर करने के लिए कहा। रुपयों की जांच के नाम पर ठगों ने अपने बताए गए बैंक खातों में ट्रांसफर करने के लिए कहा। इस दौरान 24 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट किए रहे।

साइबर ठगों ने बताया था कि जांच के बाद रुपये वापस मिल जाएंगे। डर की वजह से सुभाष चंद्र ने साइबर ठगों के बताए बैंक खातों में 49.4 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। रुपये वापस नहीं आने पर उन्हें ठगी का एहसास हुआ। जांच के दौरान ठगी में शामिल लखनऊ के आजाद मोहाल सदर बाजार निवासी गौरव जायसवाल के बारे में जानकारी मिली।

नरेश गोयल मनी लांड्रिंग केस के नाम पर कर रहे साइबर ठगी
डिटिजल अरेस्ट करके वाराणसी के एक दर्जन से अधिक लोगों के साथ साइबर ठगी की गई। ज्यादातर मामलों में साइबर ठगों ने नरेश गोयल मनी लांड्रिंग केस में शामिल होने की बात कहते हुए गिरफ्तारी का डर दिखाया और रुपयों की जांच के बहाने रुपये खुद के बैंक खातों में ट्रांसफर करा लिया।

तीनों करते थे बैंक खातों के इंतजाम व रुपयों के सेटलमेंट
पुलिस को जानकारी मिली कि तीनों ठगी के लिए जरूरी बैंक खातों के इंतजाम करते थे। जरूरतमंद लोगों को प्रलोभन देकर उनका बैंक खाते खुलवाते और उसे खुद संचालित करते थे। ठगी के रुपये बैंक खातों में आने से बाद उन्हें दूसरे बैंक खातों में ट्रांसफर करने, डिटिजल कैरेंस, गेमिंग एप में निवेश करते और एटीएम से निकलवाने का इंतजाम भी करते थे।

पुलिस को पता चला कि सुभाष चंद्र से हासिल रुपयों को इन्होंने दुबई और हांगकांग में बैठे साइबर ठगों तक पहुंचाया था। एक बैंक खाते को संचालित करने पर दस हजार से एक लाख रुपये तक कमीशन के तौर पर मिलता था। इन रुपयों को महंगे होटलों में खाने-पीने और और अन्य शौक में इस्तेमाल करते थे। पकड़े गए साइबर ठगों की उम्र 21 से 27 वर्ष के बीच है।

पुलिस नहीं करती डिजिटल अरेस्ट
> डिटिजल अरेस्ट के बढ़ते मामलों को देखते हुए पुलिस ने एडवाइजरी जारी की है।
> देश में कोई डिजिटल थाना नहीं है व पुलिस डिजिटल अरेस्ट नहीं करती है।
> ऐसे फोन काल या मैसेज जिसमें बताया जाए कि आपके खिलाफ केस दर्ज है, आपका खाता बंद हो जाएगा पूरी तरह फर्जी है।

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