समाज.मानवता और राष्ट्र के लिए रखें लक्ष्य – उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

नैनीताल : भारत के उपराष्ट्रपति, जगदीप धनखड़ शुक्रवार को उत्तराखंड के नैनीताल के शेरवुड कॉलेज की 156वीं स्थापना दिवस में शामिल हुए. इस मौके पर समारोह में उपराष्ट्रपति ने छात्रों को संबोधित किया. उन्होंने कहा, अपने लक्ष्य को संकीर्ण मत बनाइए. आत्मकेंद्रित मत बनाइए. समाज, मानवता और राष्ट्र के लिए लक्ष्य रखिए. अगर आप इतिहास में झांकें, हजार वर्षों में हम किन्हें याद करते हैं? सिर्फ उन्हें, जिन्होंने समाज के लिए काम किया, समाज के लिए जिया और अपना जीवन समाज को समर्पित किया.
नैनीताल के शेरवुड कॉलेज की 156वीं स्थापना दिवस पर स्टूडेंट्स और शिक्षकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, आपको यह भावना आत्मसात करनी होगी — राष्ट्र सर्वोपरि हैं. हमें बिना शर्त, पूर्ण राष्ट्रवाद को स्वीकार करना होगा, क्योंकि भारत, जो एक अनूठा राष्ट्र है और जिसकी 5000 वर्षों की सांस्कृतिक विरासत है, यही उसकी न्यूनतम अपेक्षा है.
उन्होंने कहा, बेहतर शिक्षा, उसकी पहुंच किसी भी लोकतांत्रिक राष्ट्र के लिए मूलभूत हैं. शिक्षा ईश्वर का वरदान है. अगर आपको बेहतर एजुकेशन मिलती है, तो आप भाग्यशाली हैं. अगर आपको इस तरह की शिक्षा 1.4 अरब की जनसंख्या वाले देश में मिलती है, तो आपको सच में विशेषाधिकार प्राप्त हैं. समानता चाहे कानून में हो या अन्यथा, उसे सबसे बेहतर तरीके से सिर्फ शिक्षा के जरिए ही हासिल किया जा सकता है. शिक्षा असमानता, अन्याय पर प्रहार करती है और यही आप जीवन भर करने वाले हैं.
पेरेंट्स से की अपील , बच्चों पर न डाले दबाव
पेरेंट्स से अपील करते हुए धनखड़ ने कहा, पेरेंट्स बनना सबसे बड़ी जिम्मेदारी है. जो आपकी सिर्फ आपकी बच्चों के प्रति ही नहीं, बल्कि पूरी मानवता के प्रति है. इसलिए कृपया अपने बच्चों पर दबाव न डालें. यह मत तय करें कि उनके जीवन का मकसद क्या होगा, वो भविष्य में क्या बनेंगे. अगर आप यह तय करेंगे, तो वे सब सिर्फ पैसे या सत्ता के पीछे दौड़ेंगे. फिर वैज्ञानिक कहां से आएंगे? खगोलशास्त्री कहां से आएंगे? वे लोग कहां से आएंगे जो पूरे विश्व की दिशा तय करते हैं?
विकसित भारत को लेकर की बात
भारत की हाल की यात्रा और ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य की चर्चा करते हुए धनखड़ ने कहा, इस सदी में हम सिर्फ साक्षरता की बात नहीं कर रहे हैं. साक्षरता बहुत पहले भारत के लिए महत्वपूर्ण थी. भारत आज संभावनाओं वाला देश नहीं रहा. जैसे आपकी प्रतिभा को आपके टीचर्स आगे बढ़ा रहे हैं, वैसे ही भारत की संभावनाओं को प्रतिदिन व्यवहार में लाया जा रहा है. भारत एक उभरता हुआ राष्ट्र है. यह उभार निरंतर है. अगर मैं पिछले दशक को देखूं, तो वैश्विक स्तर पर भारत की आर्थिक प्रगति अभूतपूर्व रही है.
इन्फ्रास्ट्रक्चर में अद्भुत वृद्धि हुई है. प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में हम सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था हैं. भारत के लिए पिछला दशक विकास का दशक रहा है, प्रगति का दशक रहा है, वैश्विक स्तर पर एक नई जगह बनाने का दशक रहा है और अब इसे आपको आगे ले जाना है — क्योंकि ‘विकसित भारत’ केवल हमारा सपना नहीं, हमारा लक्ष्य है.
वैश्विक स्तर पर भारत बढ़ रहा आगे
युवाओं को परिवर्तन के प्रेरक के रूप में कार्य करने का आह्वान करते हुए धनखड़ ने कहा, दुनिया भारत की ओर सिर्फ उसके उत्थान के कारण नहीं, केवल उसके वैज्ञानिक विकास के कारण नहीं, केवल अधोसंरचना विकास के कारण नहीं देख रही है, वो भारत की ओर देख रही है क्योंकि हमारे पास एक अद्वितीय जनसांख्यिकीय लाभांश है. हमारे युवाओं की औसत आयु 28 वर्ष है.
हम चीन और अमेरिका से 10 वर्ष छोटे हैं और जब हम जनसंख्या की संरचना को देखते हैं, तो 65% लोग 35 वर्ष से कम उम्र के हैं. दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है. हमें परिवर्तन से पीछे नहीं रहना है, हमें वही परिवर्तन लाना है जिसकी जरूरत है, वही बदलाव गढ़ना है जो हम चाहते हैं और भारत वो बदलाव चाहता है जो संपूर्ण पृथ्वी के लिए कल्याणकारी हो. इसलिए हमने G-20 में विश्व को एक सूत्र दिया — एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य.
उन्होंने कहा, भारत दुनिया में सबसे अधिक स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं वाला देश है, हमारी डिजिटल पहुंच और कनेक्टिविटी पूरी दुनिया में अद्वितीय है. आपने कई बार सुना होगा — आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, ब्लॉकचेन, मशीन लर्निंग जैसे शब्द ये अब आपके स्कूल, ऑफिस और घर तक पहुंच चुके हैं. आपको बदलना होगा, अनुकूल होना होगा ताकि आप भारत के योग्य नागरिक बनें — उस भारत के, जो संपूर्ण मानवता का छठा भाग है.