आतंकी हमले पर फारूक अब्दुल्ला का पाकिस्तान को बड़ा संदेश

कहा - "अब डायलॉग के पक्ष में नहीं"

श्रीनगर : जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीरियों ने 1947 में दो-राष्ट्र सिद्धांत को पानी में फेंक दिया था और यह साफ कर दिया था कि यह क्षेत्र पाकिस्तान के साथ नहीं जाएगा। नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष अब्दुल्ला ने कहा कि मैं हमेशा पाकिस्तान के साथ बातचीत का पक्षधर रहा, लेकिन अब चाहते हैं कि केंद्र सरकार ऐसी कार्रवाई करे, जिससे इस तरह के हमले फिर कभी न हों।

अब्दुल्ला ने कहा, “मैं पहले पाकिस्तान के साथ डायलॉग के पक्ष में था, लेकिन अब यह सवाल है कि हम उन लोगों को क्या जवाब देंगे, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया? क्या हम न्याय कर रहे हैं? भारत बालकोट से भी कड़ा एक्शन चाहता है, ताकि आगे इस तरह के हमले कभी न हों।”

“दो-राष्ट्र सिद्धांत को नकार चुके हैं”
दो-राष्ट्र सिद्धांत के बारे में बात करते हुए अब्दुल्ला ने पाकिस्तान को एक बड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोग 1947 में इस सिद्धांत को नकार चुके हैं और आज भी इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा, “हमें अफसोस है कि हमारा पड़ोसी आज भी यह नहीं समझता कि उसने मानवता का कत्ल किया है। अगर वे समझते हैं कि इस तरह के हमले करने से हम पाकिस्तान के साथ चले जाएंगे, तो उनकी यह गलतफहमी दूर करनी चाहिए।”

फारूक अब्दुल्ला के ये बयान पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद आए हैं, जिसमें 26 लोगों की मौत हुई। इनमें ज्यादतर पर्यटक थे। यह हमला पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असिम मनीर के दो-राष्ट्र सिद्धांत पर दिए गए बयान के कुछ दिन बाद हुआ था। उन्होंने आगे कहा, “हम 1947 में उनके साथ नहीं गए थे, तो आज क्यों जाएंगे? हम उस समय दो-राष्ट्र सिद्धांत को पानी में फेंक चुके थे। आज भी हम दो-राष्ट्र सिद्धांत को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, हम सभी एक हैं। हम उन्हें करारा जवाब देंगे।”

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