पूर्व राष्ट्रपति बोबामा ने ट्रम्प सरकार पर उठाये सवाल!

ट्रम्प सरकार देश को खोखला कर रही, ट्रेड वॉर से खतरे में देश की गरिमा

वॉशिंगटन डीसी : अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने एक बार फिर देश की मौजूदा राजनीतिक दिशा को लेकर गहरी चिंता जताई है. कनेक्टिकट के हार्टफोर्ड शहर में आयोजित एक चर्चा कार्यक्रम में ओबामा ने अमेरिका की लोकतांत्रिक संस्थाओं, सत्ता की जवाबदेही और राजनीतिक नैतिकता पर गंभीर सवाल उठाए. विशेष इतिहासकार हीदर कॉक्स रिचर्डसन के साथ बातचीत में ओबामा ने ट्रम्प प्रशासन की तीखी आलोचना की और कहा कि अमेरिका एक खतरनाक रास्ते पर आगे बढ़ रहा है.

लोकतंत्र में विरोध जरूरी, लेकिन अब वह खत्म हो रहा”
ओबामा ने अपने भाषण में कहा कि अमेरिकी लोकतंत्र की ताकत हमेशा इसकी जवाबदेही और संस्थागत संतुलन में रही है. लेकिन अब सत्ता में बैठे लोग इन मूलभूत सिद्धांतों को कमजोर कर रहे हैं. “लोकतंत्र केवल वोट देने से नहीं चलता. इसे बचाने के लिए सत्ता के बाहर और अंदर से विरोध जरूरी होता है.”

“यह सिर्फ आर्थिक नहीं, नैतिक संकट भी”
ओबामा ने चीन के साथ अमेरिका की मौजूदा ट्रेड वॉर पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि टैरिफ और आर्थिक डर की राजनीति अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय साख को नुकसान पहुंचा रही है. उन्होंने कहा, “मेरे कार्यकाल में चीन एक बड़ी ताकत बन रहा था, फिर भी हमने टैरिफ को हथियार नहीं बनाया, क्योंकि यह हमारी नैतिक स्थिति को कमजोर करता है.”

“अमेरिका हंगरी जैसे देशों की राह पर”
ओबामा ने एक तीव्र तुलना करते हुए कहा कि अमेरिका उसी राह पर बढ़ रहा है जिस पर हंगरी जैसे देश चल चुके हैं – जहां चुनाव तो होते हैं, लेकिन जनआवाज़ और सच्चाई की अहमियत खत्म हो जाती है. उन्होंने 2020 के चुनावों का उदाहरण देते हुए कहा कि झूठे चुनावी आरोपों ने लोकतंत्र की नींव को हिला दिया.

पुतिन और KGB की रणनीति का जिक्र
ओबामा ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन और पूर्व जासूसी संस्था KGB की एक रणनीति का हवाला दिया, “अगर आप सच्चाई छिपाना चाहते हैं तो उसे नहीं दबाएं, बल्कि इतने झूठ फैला दें कि लोगों को लगे कि किसी चीज़ पर भरोसा करना ही बेमानी है.” उन्होंने कहा कि स्टीव बैनन जैसे ट्रम्प सलाहकार इसी रणनीति का इस्तेमाल कर रहे हैं – और यह अमेरिकी समाज के लिए बेहद खतरनाक है.

लोग सच्चाई से हार मान लें, तो तानाशाही शुरू होती है
ओबामा ने कहा कि असली खतरा तब पैदा होता है जब लोग सच और झूठ में फर्क करना ही छोड़ देते हैं. “अगर नेता बार-बार झूठ बोलते हैं और फिर जनता भी कहने लगे कि ‘अब फर्क नहीं पड़ता’, तो यही वह समय होता है जब तानाशाही का बीज बोया जाता है.” उन्होंने आरोप लगाया कि रिपब्लिकन पार्टी के कई नेता जानते हैं कि जो कहा जा रहा है वो झूठ है, फिर भी वे चुप हैं या सहयोग दे रहे हैं.

कानून के पक्ष में खड़े हों, यही असली देशभक्ति है
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि आज वक्त आ गया है जब सिर्फ आम नागरिक ही नहीं, बल्कि सरकारी अधिकारी भी सामने आएं और कहें, “नहीं, यह गलत है. और कानून यही कहता है.” उन्होंने अमेरिकी न्याय व्यवस्था, संविधान और प्रेस की स्वतंत्रता को लोकतंत्र की रीढ़ बताया और आगाह किया कि यदि सत्ता संविधान की शपथ लेकर भी उसे नजरअंदाज करे, तो लोकतंत्र सिर्फ नाम का रह जाएगा.

युवाओं के लिए संदेश: गुस्से को ऊर्जा में बदलिए
कार्यक्रम के अंत में ओबामा ने युवाओं से संवाद करते हुए कहा कि आज भी उन्हें उम्मीद है. उन्होंने कहा, “गुस्सा जरूरी है, लेकिन बदलाव लाने के लिए जोड़ने वाली सोच और संवाद की ताकत जरूरी है.” उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जरूरी है कि हम ऐसे लोगों से भी बातचीत करें जिनसे हम हर बात पर सहमत नहीं होते.

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